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बबुरा में फेंकी मिलीं तीन बोरा सरकारी एक्सपायर्ड दवाएं
भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले में सरकारी एक्सपायर्ड दवाओं को जहां-तहां फेंके जाने का सिलसिला निरंतर जारी है. एक तरफ सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाओं की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग अक्सर रोना रोता नजर आता है. वहीं, मरीजों को कई दवाएं बाहर से खरीदना पड़ता है. दूसरी तरफ एक बार […]
भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले में सरकारी एक्सपायर्ड दवाओं को जहां-तहां फेंके जाने का सिलसिला निरंतर जारी है. एक तरफ सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाओं की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग अक्सर रोना रोता नजर आता है. वहीं, मरीजों को कई दवाएं बाहर से खरीदना पड़ता है.
दूसरी तरफ एक बार फिर शनिवार को भभुआ-मोहनिया रोड पर बबुरा गांव में मस्जिद के सामने गड्ढे में तीन बोरा सरकारी एक्सपायर्ड दवा बरामद किया गया है. उक्त दवा किसने और कब फेंकी, इसका पता नहीं लगाया जा सका है. लेकिन, दवा पर लगे मुहर से यह स्पष्ट हो गया है कि उक्त सभी दवाएं सरकारी है. शनिवार को जब बबुरा गांव के ग्रामीणों ने तीन बोरा फेंकी दवा देखी, तो जिसकी सूचना प्रशासन को दी. सूचना पर भभुआ थानाध्यक्ष सत्येंद्र राम व डीपीएम विवेक कुमार दवा को जब्त कर थाने ले आये. हालांकि, दवा को बरामद हुए 12 घंटे बीत जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
दरअसल, शनिवार की सुबह बबुरा गांव के ग्रामीण भभुआ-मोहनिया रोड पर आ-जा रहे थे, तभी मस्जिद के सामने रोड के पूरब तरफ गड्ढे में तीन बोरा दवा फेंका हुआ देखा. उन्हें गड़बड़ी का शक होने पर सूचना प्रशासन को दी. डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने तत्काल भभुआ थाने की पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मौके पर भेजा. मौके पर जब थानेदार सत्येंद्र राम व डीपीएम विवेक कुमार पहुंचे तो उन्होंने पाया कि तीन बोरे में भरा हुआ दवा वहां फेंका गया है. उक्त दवाओं पर गर्वमेंट सप्लाई व नॉट फॉर सेल लिखा हुआ है. फेंकी हुई दवाओं में एंटीबायोटिक, नींद, दर्द सहित कई तरह के दवा शामिल है. उक्त सभी दवाइयां 2013, 14, 15 में एक्सपायर्ड हो चुकी है.
बरामद दवा मामले में कार्रवाई के बाबत पूछे जाने पर थानाध्यक्ष सत्येंद्र राम ने बताया कि अभी तक किसी द्वारा प्राथमिकी के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया है. प्राथमिकी के लिए आवेदन प्राप्त होने पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
12 घंटे बाद प्राथमिकी तक दर्ज नहीं
खासबात यह है कि दवा बरामदगी के लगभग 10 से 12 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई जांच टीम नहीं गठित की गयी और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. दवा कहां की है किसने और कब फेंका इसका पता लगाने के लिए भी कोई कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग द्वारा शनिवार की शाम तक नहीं किया गया था. हालांकि, ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग में दवा फेंके जाने का यह कोई पहला मामला है. अधौरा के जंगल, सदर अस्पताल के कुआं, मोहनिया थाना क्षेत्र में कई बार सरकारी दवाइयां फेंकी बरामद की गयी हैं. लेकिन, जांच के नाम पर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. अब तक स्वास्थ्य विभाग ने दवा फेंके जाने के मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. इसका नतीजा रहा कि दवा फेंके जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और सरकारी दवाओं को फेंका जाना स्वास्थ्य विभाग के लिए आम बात हो गयी है.
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