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छह बज कर 58 मिनट के बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

भभुआ सदर : मेल मिलाप का प्रमुख त्योहार होली में अब दो दिन शेष है. पहले दिन एक मार्च को होलिका दहन व इसके अगले दिन शुक्रवार को लोग रंगों की होली खेलेंगे. होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताये गये नियमों के अनुसार करने की रीति है. मान्यता है कि इसमें प्रदोष […]

भभुआ सदर : मेल मिलाप का प्रमुख त्योहार होली में अब दो दिन शेष है. पहले दिन एक मार्च को होलिका दहन व इसके अगले दिन शुक्रवार को लोग रंगों की होली खेलेंगे. होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताये गये नियमों के अनुसार करने की रीति है. मान्यता है कि इसमें प्रदोष काल का समय सर्वोत्तम होता है. इसमें ढूंढा राक्षसी का पूजन कर लोग होलिका दहन करेंगे.

इसी को ध्यान में रखते हुए ‘ओम होलिकायै नम:’ मंत्रोच्चारण के साथ शास्त्र विधि से लोगों द्वारा होलिका दहन गुरुवार की शाम किया जायेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर तिवारी के अनुसार, इस वर्ष गुरुवार की शाम छह बज कर 58 मिनट तक भद्रा है. इसमें होलिका दहन किये जाने का विधान नहीं है. सो इसके बाद प्रारंभ हो रहे शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाना उत्तम है.

क्या कहता हैं ज्योतिष शास्त्र इस बाबत पंडित कामेश्वर तिवारी ने बताया कि धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ‘रात्रौ भद्रा वसाने तू होलिका दीप्यते तदा’ होलिका दहन तीन शास्त्रीय नियमों के अनुसार किया जाता है. इसमें फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि हो तथा प्रदोष रात का समय हो व भद्रा बीत चुकी हो.
इसके अनुसार गुरुवार की शाम 06:58 बजे के बाद निशामुख होलिका दहन का मुहूर्त बनते दिख रहा है. इस कारण इस समय के पश्चात ही होलिका दहन किया जाना चाहिए. साथ ही इसके दूसरे दिन चैत्र कृष्णपक्ष की प्रतिप्रदा में रंगोत्सव का त्योहार मनाया जायेगा.

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