भभुआ सदर : मेल मिलाप का प्रमुख त्योहार होली में अब दो दिन शेष है. पहले दिन एक मार्च को होलिका दहन व इसके अगले दिन शुक्रवार को लोग रंगों की होली खेलेंगे. होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताये गये नियमों के अनुसार करने की रीति है. मान्यता है कि इसमें प्रदोष काल का समय सर्वोत्तम होता है. इसमें ढूंढा राक्षसी का पूजन कर लोग होलिका दहन करेंगे.
इसी को ध्यान में रखते हुए ‘ओम होलिकायै नम:’ मंत्रोच्चारण के साथ शास्त्र विधि से लोगों द्वारा होलिका दहन गुरुवार की शाम किया जायेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर तिवारी के अनुसार, इस वर्ष गुरुवार की शाम छह बज कर 58 मिनट तक भद्रा है. इसमें होलिका दहन किये जाने का विधान नहीं है. सो इसके बाद प्रारंभ हो रहे शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाना उत्तम है.