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सिर्फ पांच गोलियों में अचूक निशानेबाज

अनदेखी. फायरिंग के लिए नियम ताक पर, सिर्फ पूरी हो रही औपचारिकता भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले में तैनात पुलिस जवानों सहित पदाधिकारियों को महज पांच गोली में अचूक निशानेबाज बनाया जा रहा है. भगवानपुर थाना क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी की तलहटी में बने फायरिंग रेंज पर पुलिस जवानों व पदाधिकारियों से कराये जा रहे […]

अनदेखी. फायरिंग के लिए नियम ताक पर, सिर्फ पूरी हो रही औपचारिकता

भभुआ कार्यालय : कैमूर जिले में तैनात पुलिस जवानों सहित पदाधिकारियों को महज पांच गोली में अचूक निशानेबाज बनाया जा रहा है. भगवानपुर थाना क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी की तलहटी में बने फायरिंग रेंज पर पुलिस जवानों व पदाधिकारियों से कराये जा रहे फायरिंग में एक जवान को महज पांच गोली फायरिंग के लिए दिया जा रहा है. जबकि, पूरे साल में एक बार फायरिंग रेंज पर जवानों से फायरिंग करा कर उन्हें निशानेबाजी की प्रैक्टिक्स करायी जाती है और एक साल में एक जवान से महज पांच गोली की फायरिंग करा कर उन्हें अचूक निशानेबाज बनाया जा रहा है.
बिहार की पुलिस अक्सर संसाधनों के अभाव का रोना रोती रहती है और यह हकीकत भी है कि बिहार की पुलिस काफी कम संसाधन में काम कर रही है. इसका एक नजारा दो दिनों से भगवानपुर थाना क्षेत्र में कैमूर पहाड़ी के तलहटी में बने फायरिंग रेंज पर भी देखने को मिला, जहां फायरिंग की प्रैक्टिस करने के लिए पुलिस जवानों को महज पांच गोली ही दी जा रही है
और उस पांच गोली से बिहार पुलिस अपने जवानों से अचूक निशानेबाज बनने की बात सोच रही है और फायरिंग के प्रैक्टिस के लिए जवानों को कम गोली दिये जाने का असर साफ तौर पर उनके फायरिंग पर भी देखने को मिल रहा है. कमी सिर्फ जवानों या पुलिस पदाधिकारियों से गोली फायरिंग कराने में ही नहीं है. बल्कि, फायरिंग रेंज पर फायरिंग के लिए जो नियम हैं, उसमें अधिकतर नियमों को ताक पर रख दिया गया है.
फायरिंग रेंज पर नियम के मुताबिक एक टारगेट बना होता है, जिसमें बुल, इनर, आऊटर, मैकपाई और वॉसआऊट का एक बोर्ड पर रंगीन गोला बनाया जाता है, जिसकी गोली टारगेट के बुल में लगती है, वह सबसे सटीक निशानेबाज होता है. उससे ऊपर लगने पर इनर कहा जाता है. इनर के बाद लगने पर आऊटर और आऊटर के बाद लगने पर मैकपाई और जो गोली टारगेट बोर्ड के बाहर चली जाती है, उसे वॉसआऊट कहा जाता है. टारगेट बोर्ड में बुल, इनर, आऊटर, मैकपाई व वॉसआऊट में गोली लगने के आधार पर प्वाइंट दिये जाते हैं. लेकिन, भगवानपुर स्थित फायरिंग रेंज पर टारगेट के नाम पर टारगेट तो बनाया गया है.
लेकिन, जवानों की गोली टारगेट बोर्ड में लग रही है या उससे बाहर यानी वॉसआऊट हो जा रही है, इसका कोई मतलब नहीं है. हर जवान से पांच-पांच गोली फायरिंग करा कर सिर्फ और सिर्फ फायरिंग की औपचारिकताएं ही पूरी की जा रही हैं. ऐसे में सिर्फ पांच गोली व टारगेट में गोली लगने या नहीं लगने का कोई मतलब नहीं होने पर अगर हम पुलिस जवानों से अचूक निशानेबाजी की कल्पना करें तो यह बेमानी होगी. हालांकि, फायरिंग रेंज पर ही कुछ पुलिस अधिकारी, जिसमें एसडीपीओ मोहनिया मनोज राम, एएसपी अभियान राजीव रंजन, सब इंस्पेक्टर वीरेंद्र पासवान सहित कई पुलिस जवानों ने भी अपने अचूक निशानेबाजी का लोहा मनवाया.
लेकिन, अधिकतर पुलिस जवान व अधिकारी फायरिंग रेंज पर वॉसआऊट हो गये. फायरिंग रेंज पर मेजर संतोष कुमार, इंस्पेक्टर सत्येंद्र राम सहित कई लोग मौजूद रहे. इस बाबत एसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि गोली की उपलब्धता कम होने के कारण फायरिंग के लिए जवानों को पांच-पांच गोली दिये जा रहे हैं. कम गोली उपलब्ध होने के बावजूद हम और हमारे जवान बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं.
फायरिंग रेंज में एक जवान को मिल रहीं महज पांच गोलियां
अधिकतर जवान टारगेट पर नहीं लगा पा रहे हैं निशाना

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