पहल . रोकथाम के लिए जिले में संभावित स्थलों पर कराया जा रहा छिड़काव
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समुचित इलाज ही कालाजार से बचाव
पहल . रोकथाम के लिए जिले में संभावित स्थलों पर कराया जा रहा छिड़काव जानलेवा बीमारी है कालाजार, त्वचा हो जाती है काली अस्पताल में है इलाज की सुिवधा जहानाबाद नगर : कालाजार एक जानलेवा बीमारी है, जो मादा सैंड फ्लाइ के काटने से होती है. इस बीमारी से लंबे समय तक बुखार रहता है, […]
जानलेवा बीमारी है कालाजार, त्वचा हो जाती है काली
अस्पताल में है इलाज की सुिवधा
जहानाबाद नगर : कालाजार एक जानलेवा बीमारी है, जो मादा सैंड फ्लाइ के काटने से होती है. इस बीमारी से लंबे समय तक बुखार रहता है, जो सामान्य उपचार से ठीक नहीं होता है. इस बीमारी में तिल्ली एवं जिगर बढ़ जाता है. खून की कमी होने से वजन घटने लगता है. त्वचा का रंग काला पड़ जाता है. परंतु समय पर एवं समुचित इलाज से इस बीमारी से बचा जा सकता है. जिले में पूर्व के वर्षो में कई स्थानों पर कालाजार की शिकायत मिली है. इसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन संभावित स्थानों पर कीटनाशक का छिड़काव करा रहा है. इस बीमारी के फैलने का यही मौसम है. गरमी जब बढ़ने लगती है, तभी इस बीमारी का प्रकोप भी फैलता है. अस्पताल में कालाजार मरीजों के इलाज की भी व्यवस्था है.
बचाव के उपाय :इस बीमारी के उपचार हेतु नयी चिकित्सा पद्धति शुरू की गयी है, जिसमें मात्र एक सूई के द्वारा इस बीमारी का इलाज होता है. कालाजार मरीजों का इलाज माइल्टे फोसिन दवा से किया जाता है.
कालाजार के फैलाव को रोकने के वर्ष में दो बार कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. इससे रोग वाहक बालू मक्खी मर जाती है.
इन स्थानों पर कराया जा रहा छिड़काव:सदर प्रखंड के सलेमपुर ,मिल्की ,बलवा ,खैरामठिया गांवों में कीटनाशक का छिड़काव कराया जा रहा है.वहीं काको प्रखंड के खालिसपुर ,भदसारा उर्सरी ,धरमपुर ,हुलासगंज प्रखंड के बसंतपुर ,ढोगरा, रामचंद्रपुर आदि गांवों मेंछिड़काव कराया जा रहा है. इन गांवों में पूर्व के वर्षों में कालाजार की शिकायत सामने आयी थी.
कीटनाशक का िछड़काव
जिले में संभावित स्थलों को चिह्नित कर कीटनाशक का छिड़काव कराया जा रहा है, ताकि कालाजार जैसी बीमारी के पोषक मच्छरों को मारा जा सके. सदर अस्पताल में इस बीमारी के इलाज का भी व्यवस्था है.
डाॅ दिलीप कुमार ,जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी
कालाजार मादा बालू मक्खी (सैंड फ्लाइ )के काटने से होता है
इस बीमारी में लंबे समय तक बुखार रहता है
सामान्य उपचार से कालाजार ठीक नहीं होता है.
इस बीमारी में खून की कमी हो जाती है, जिससे वजन घटने लगता है.
त्वचा का रंग भी काला पड़ने लगता है.
छिड़काव के समय इन बातों का रखें ध्यान
छिड़काव से पूर्व घर की अंदरूनी दीवार के छेद को बंद कर दें.
घर के सभी कमरों की दीवारों पर छह फुट तक छिड़काव करायें
छिड़काव के दो घंटे के पश्चात घर में प्रवेश करें.
छिड़काव से पूर्व भोजन सामग्री ,बरतन ,कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें
तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई न करें
कांडों के अनुसंधान में गुणवत्ता का रखें ख्याल
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