Advertisement
मजबूरी में व्यवसायियों को धान बेच रहे किसान
जहानाबाद : किसानों को उपजे फसल का मुनाफे अधिक- से- अधिक मिले यही सोच के साथ जिले से लेकर पंचायत स्तर तक किसानों को सीधे तौर पर धान खरीदारी करने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गयी थी. लेकिन सरकारी एजेंसी के पास धान बेचने पर अधिक मुनाफा होने के बावजूद कई किसान बिचौलिया एवं छोटे-मोटे […]
जहानाबाद : किसानों को उपजे फसल का मुनाफे अधिक- से- अधिक मिले यही सोच के साथ जिले से लेकर पंचायत स्तर तक किसानों को सीधे तौर पर धान खरीदारी करने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गयी थी. लेकिन सरकारी एजेंसी के पास धान बेचने पर अधिक मुनाफा होने के बावजूद कई किसान बिचौलिया एवं छोटे-मोटे व्यवसायी के हाथों धान बेच रहे हैं.
नित्य नये-नये नियम के चलते किसान सरकारी एजेंसी के पास धान नहीं बेच उलझन में नहीं पड़ना चाहते. धान नहीं बेचे जाने के कई मुख्य वजह बताया जा रहा है. बताया जाता है कि सरकार की जटिल प्रक्रिया के चलते वास्तविक किसानों का मुंह सरकारी व्यवस्था से धीरे-धीरे भंग होते जा रहा है तथा इसका लाभ व्यवसायी वर्ग बिचौलिया उठा रहे हैं. सरकारी व्यवस्था से होनेवाली परेशानी की वजह से किसान व्यवसायियों के हाथों धान बेचना मुनासिब समझते हैं. किसानों को बेचे गये धान की कीमत हाथों- हाथ मिल जाती है.
हालांकि सरकार द्वारा भी इस वर्ष से किसानों द्वारा बेचे गये धान की कीमत दो तीन दिनों के अंदर भुगतान करने की व्यवस्था की गयी है. लेकिन किसानों को सरकारी व्यवस्था के प्रति विश्वास नहीं रहने के कारण बिचौलियाें व व्यवसायियों को इसका लाभ अधिक मिलता दिख रहा है. किसानों द्वारा बेचे गये धान का प्रति क्विंटल दो से तीन सौ रुपया घाटा होने के बावजूद किसान व्यवसायियों के हाथों धान बेच रहे हैं.
किसान सरकारी पेच में नहीं पड़ना चाहते हैं. इसका सीधा लाभ इस धंधे से जुड़े लोगों को काफी मिल रहा है. मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि कई पैक्स में धान खरीद का काम पैसा के अभाव में ठप पड़ा है. जानकार बताते हैं कि पैक्स के सीसी में दिये गये पैसे के धान खरीद हो जाने एवं सरकार के निर्देशानुसार पैसा खत्म होने के बाद धान की खरीदारी नहीं करने के निर्देश के कारण धान का खरीद बंद पड़ा है. ऐसे में एजेंसी के पास बेचनेवाले भी किसान मजबूरन व्यवसायी के हाथों धान बेच रहे हैं एवं सरकार की एजेंसी पर किसानों के उठते विश्वास के कारण बिचौलिया किसानों की उपजी फसल का मुनाफा चट कर रहे हैं.
सरकार की घोषणा के अनुरूप पैमाने पर खरीद एजेंसी को खरा नहीं उतरना भी किसान मुख्य वजह मानते हैं. धान खरीद एजेंसी, व्यापार मंडल, पैक्स से किसानों को समुचित लाभ नहीं मिलने से किसानों की रुचि कम होती जा रही है. सरकारी व्यवस्था से मोह भंग होने के पीछे कई वजह है. एजेंसी के पास धान बेचने पर पैसे का भुगतान में देरी होती है एवं तरह-तरह के कागजात जुटाने की परेशानी किसानों को उठानी पड़ती है.
ऐसे में किसान बगैर मुसीबत मोल लिये घाटा सह व्यवसायी के हाथों ही धान बेच देते हैं. पैक्स में धान बेचने पर अधिक मुनाफा होने की बाबत किसान रामभरोसा प्रसाद सिंह बताते हैं कि धान बेचने के बाद पैसे का भुगतान कब होगा इसकी गारंटी नहीं रहती है. वहीं कई लोगों का कहना है कि नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में धान की मांग अधिक रहने व ऊंची कीमत मिलने की वजह से धान की बड़ी खेप बाहर भेजी जा रही है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement