आवंटित कई दुकानों को लगा रखा है किराये पर
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कमाई का जरिया बनी हैं जिप की दुकानें
आवंटित कई दुकानों को लगा रखा है किराये पर भाड़े के रूप में कमा रहे हैं 10 गुना अधिक किराया वाजिब हकदार हैं वंचित, पैसे वालों की कट रही चांदी शहर के कई प्रमुख स्थानों पर जिला पर्षद की दुकानें हैं, जो किसी-न-किसी व्यक्ति के नाम पर रोजगार करने के लिए लंबे समय से आवंटित […]
भाड़े के रूप में कमा रहे हैं 10 गुना अधिक किराया
वाजिब हकदार हैं वंचित, पैसे वालों की कट रही चांदी
शहर के कई प्रमुख स्थानों पर जिला पर्षद की दुकानें हैं, जो किसी-न-किसी व्यक्ति के नाम पर रोजगार करने के लिए लंबे समय से आवंटित हैं. उसमें कई लोग ऐसे हैं जो नियम के तहत स्वरोजगार कर रहे हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने आवंटित दुकानों को अपने स्तर से किसी दूसरे व्यक्ति को किराये पर लगा दिया है और भाड़े के रूप में कमाई कर रहे हैं.
जहानाबाद : एक पुरानी कहावत है माल महाराज के मिरजा खेले होली. यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है जहानाबाद शहर में. जिला पर्षद की शहर में 300 से अधिक दुकानें हैं, जिन्हें लोगों ने आवंटित तो करा रखा है अपने नाम से, लेकिन कई लोगों ने उसे किसी दूसरे व्यक्ति के हाथों सौंप कर उससे किराया के रूप में मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसी स्थिति आज कोई नयी नहीं है.
बल्कि वर्षों से यह गोरख धंधा यहां चल रहा है. जिस पर समुचित कार्रवाई करने की लोग जरूरत महसूस कर रहे हैं. बता दें कि शहर के कोर्ट एरिया, अस्पताल मोड़, अरवल मोड़, स्टेशन रोड़, काको रोड़ सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर जिला पर्षद की 300 से अधिक दुकानें बनी हुई हैं, जो रोजगार करने के लिए आवंटित की गयी थीं. बताया जाता है कि शुरुआती दौर में ही पैसे और पैरवी के बल पर रसूख वाले कई व्यक्तियों ने अपने नाम पर आवंटित करा रखा है.
वर्षों पुराना है एग्रीमेंट, निर्धारित है मामूली किराया : जिला पर्षद की दुकानों का एग्रीमेंट कई वर्षों पूर्व किया गया था. उस वक्त अत्यंत ही कम दर पर दुकानें उपलब्ध करा दी गयी थीं. उस वक्त से आज तक दुकानों का रेंट रिविजन नहीं हुआ. खबर के अनुसार किसी को ढाई सौ तो किसी को तीन सौ रुपये मासिक किराया के एकरार नामे पर दुकानें आवंटित की गयी है. लेकिन आज तक किराया में वृद्धि नहीं हुई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एकरार नामा कराये कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने शुरू में तो खुद दुकानें संचालित कीं और बाद में उसे अपने स्तर से किसी दूसरे-तीसरे व्यक्ति के हाथों सौंप दिया.
दुकान को किराये पर लगाकर 10 गुणा लाभ कमाते हुए किसी से तीन हजार तो किसी से चार हजार रुपये प्रतिमाह की वसूली कर रहे हैं. बताया जाता है कि शुरुआती दौर में ही पैसे और पैरवी के बल पर रसूख वाले कई लोगों ने दुकानें आवंटित करा ली थीं.
गरीब परिवार के लोग हैं वंचित
जिस वक्त जिला पर्षद की दुकानों का आवंटन हो रहा था उस वक्त कई गरीब परिवार के जरूरत मंद लोग उक्त सुविधा से वंचित कर दिये गये. वर्तमान समय में हजारों की संख्या में गरीब वर्ग के लोग सड़क पर फुटपाथी दुकानदार के रूप में रोजगार करने पर विवश हैं. उनके समक्ष वर्तमान समय में यह समस्या उत्पन्न होती है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान में उनकी दुकानें उजाड़ दी जाती हैं. ऐसे लोग आज भी स्थायी तौर पर दुकान उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि वर्तमान समय में कई लोग ऐसे हैं जिनके पास किराये मद का पैसा बकाया पड़ा है. जिला पर्षद की नयी अध्यक्ष आभा रानी के द्वारा बकायेदारों की सूची तैयार करायी जा रही है.
चरणबद्ध तरीके से की जायेगी कार्रवाई
जिला पर्षद की दुकानों की संख्या कितनी है, इसकी सूची बनायी जा रही है. दुकानों का एकरारनामा कब का है और कितना किराया निर्धारित किया गया था. इसकी जानकारी ली जा रही है. नियम के अनुसार किराये का रिविजन किया जायेगा. पहले चरण में सूची बनाकर बकायेदारों से किराये मद की राशि की वसूली की जायेगी. द्वितीय चरण में जांच करायी जायेगी कि एंग्रीमेंट धारकों ने जिला पर्षद की दुकानों को अपने स्तर से किसी दूसरे व्यक्ति के हाथ किराये पर लगाया है या नहीं. यदि ऐसे मामले पकड़े गये तो विधि सम्मत जिला बोर्ड के द्वारा समुचित कार्रवाई की जायेगी.
आभा रानी, अध्यक्ष, जिला पर्षद
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