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कभी था मॉडल, आज है बदहाल
प्रतिनियुक्ति पर बुलाये गये तीन कर्मियों के सहारे चल रहा केंद्र केंद्र में नहीं है किसी भी टेक्नीशियन की पोस्टिंग वर्ष 2004 में हुई थी केंद्र की स्थापना स्थापना काल में प्रतिदिन दो दर्जन मरीजों का होता था इलाज टेक्नीशियन व कर्मचारियों के कुल 12 पद हैं सृजित जहानाबाद (नगर) : सदर अस्पताल परिसर स्थित […]
प्रतिनियुक्ति पर बुलाये गये तीन कर्मियों के सहारे चल रहा केंद्र
केंद्र में नहीं है किसी भी टेक्नीशियन की पोस्टिंग
वर्ष 2004 में हुई थी केंद्र की स्थापना
स्थापना काल में प्रतिदिन दो दर्जन मरीजों का होता था इलाज
टेक्नीशियन व कर्मचारियों के कुल 12 पद हैं सृजित
जहानाबाद (नगर) : सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र की स्थिति बहुत ही बदतर है. यहां मरीजों की सुविधा के लिए लगायी गयी अधिकतर मशीनें दो वर्षों से अधिक समय से बेकार पड़ी हैं, जिसके कारण मरीजों को फिजियोथेरेपी तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है. केंद्र में किसी भी टेक्नीशियन की पोस्टिंग नहीं की गयी है. सर्वशिक्षा अभियान से प्रतिनियुक्ति पर बुलाये गये तीन कर्मियों के सहारे किसी प्रकार केंद्र का संचालन हो रहा है.
केंद्र की बदहाली की कहानी उस समय शुरू हुई, जब वर्ष 2007 में इसे बिहार सरकार को हैंड ओवर कर दिया गया. इससे पहले भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा इसका संचालन किया जाता था. मंत्रालय द्वारा ही वर्ष 2004 में केंद्र की स्थापना की गयी थी. अपने स्थापना काल में यह केंद्र काफी बेहतर स्थिति में था. प्रतिदिन यहां दो दर्जन से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते थे. लेकिन, जब से बिहार सरकार को हैंड ओवर किया गया, तब से पुनर्वास केंद्र की स्थिति खराब है. आज तो स्थिति यह है कि एक भी मशीन चालू हालात में नहीं हैं तथा मरीज भी यहां नहीं आते हैं.
प्रदेश में मॉडल के रूप में थी पहचान : जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र प्रदेश में मॉडल के रूप में जाना जाता था. प्रदेश का यह पहला विकलांग पुनर्वास केंद्र था, जिसका अपना भवन था, जिसमें विकलांगों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध थीं. फिजियोथेरेपी, टेंस, बैग यूनिट आदि का लाभ विकलांगों को मिला करता था. इन सुविधाओं के लिए मरीजों से शुल्क के रूप मामूली राशि ली जाती थी. प्रतिदिन यहां दो दर्जन से अधिक मरीज लाभ लेने के लिए पहुंचते थे. लेकिन, आज स्थिति ऐसी है कि एक भी मशीन मरीजों को लाभ पहुंचाने लायक नहीं है.
क्या कहते हैं अधिकारी
डीडीआरसी के लिए केंद्र से कोई पैसा नहीं मिला है. जब तक पैसा नहीं मिलेगा, केंद्र का सफल संचालन संभव नहीं है. इस संबंध में और विशेष जानकारी बाद में दी जायेगी.
श्रुतिदेव नारायण, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा विभाग
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