13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उद्धारक की बाट जोह रहा श्रीकृष्ण गोशाला

उद्धारक की बाट जोह रहा श्रीकृष्ण गोशाला1906 में टेकारी महाराज ने किया था स्थापना 48 गाय हैं मौजुद आर्थिक संकट: गोशाला की आर्थिक स्थिती काफी खराब ,गायों के लिए भोजन का भी नहीं हो पा रहा इंतजामफोटो -4,5 जहानाबाद(नगर). टेकारी महाराज गोपाल शरण द्वारा सन् 1906 में श्रीकृष्ण गोशाला की स्थापना की गयी थी . […]

उद्धारक की बाट जोह रहा श्रीकृष्ण गोशाला1906 में टेकारी महाराज ने किया था स्थापना 48 गाय हैं मौजुद आर्थिक संकट: गोशाला की आर्थिक स्थिती काफी खराब ,गायों के लिए भोजन का भी नहीं हो पा रहा इंतजामफोटो -4,5 जहानाबाद(नगर). टेकारी महाराज गोपाल शरण द्वारा सन् 1906 में श्रीकृष्ण गोशाला की स्थापना की गयी थी . इस गोशाला का गौरवशाली इतिहास रहा है . जिलेवासियों एवं व्यवसायियों के सहयोग से इसका सफल संचालन होता रहा है तथा गायों की सेवा माता के रूप में की जाती रही है . गाव: विश्वस्य मातर: की सोच के साथ स्थापित इस गोशाला में गायों की सेवा होती रही है. लेकिन दुर्भाग्यवश विगत कई वर्षो से गोशाला की हालत काफी बदतर हो गयी है . गोशाला की गायों को न तो भरपेट भोजन ही नसीब हो रहा है न ही उनका समुचित देखभाल व चिकित्सा ही मिल रहा है. कु व्यवस्था मे फंसी कराह रही इस गोशाला के जीर्णोदार के उद्देश्य से गो -प्रेमियों द्वारा इसका बीड़ा उठाया गया तथा नयी कमेटी गठित की गयी . वर्त्तमान में इस गोशाला में 48 गायें मौजुद हैं जिसके भोजन की व्यवस्था करने में नयी कमेटी भी अक्षम साबित हो रहा है . एक एकड़ 88 डिसमल के बड़े भू-भाग पर स्थापित इस गोशाला को आज उद्धारक का इंतजार है, जो गोशाला की आर्थिक स्थिती को सुदृढ़ बना गउ माता के लिए भरपेट भोजन की व्यवस्था करा सके और गोशाला कैसे स्वावलंबी हो इसका प्रयास कर सके . कैसे स्वावलंबी बनेगा गोशाला :गोशाला की आर्थिक स्थिती जब तक बेहतर नहीं होगी गोशाला स्वावलंबी नहीं बन पायेगा . ऐसे में गोशाला को स्वावलंबी बनाने के लिए गोशाला परिसर के आगे खाली पड़ी जमीन को वाहन पार्किग के रूप में प्रयोग किया जाये . इससे प्रतिमाह 20 से 30 हजार रुपये की मासिक आमदनी हो सकती है . गोशाला परिसर के बाहर 30 से 40 दुकानों का निर्माण करा दी जाये तो इससे 30 से 40 हजार रुपया मासिक आमदनी हो सकती है . गोशाला में दस दुधारू गायों की व्यवस्था किये जाने से प्रतिदिन 4 हजार रुपये की दैनिक आमदनी हो सकती है . अगर सांसद निधि से एक ट्रैक्टर गोशाला को दिया जाये जो गांव से नेवारी-भूसा लाने के साथ-साथ मासिक 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी भी दे सकता है . किसानों के लिए जा रहे गोशाला शुल्क को अगर प्रति गोलादार नियमित रूप से देना तय करें तो इससे प्रतिदिन एक हजार रुपये की आय हो सकती है . इसके साथ ही गोशाला परिसर में स्थापित राधा-कृष्ण मंदिर का जीर्णोदार किये जाने से प्रतिदिन आय में वृद्धि हो सकती है . गोशाला को क्या है आवश्यकता :गोशाला में फिलहाल 48 गायें हैं . इन गायों के लिए प्रति गाय पांच किलो कुटी तथा दो किलो चोकर की आवश्यकता प्रतिदिन होती है . गायों को पानी की समस्या न हो इसके लिए समरसेबुल की गहरायी बढ़ाने की आवश्यकता है . गायों की देखभाल के लिए पशु चिकित्सा पदाधिकारी की तैनाती , गोमाता की धुलाई एवं परिसर की साफ-सफाई के लिए नाली एवं शेड का निर्माण , गोशाला में रौशनी के लिए वैपर लाइट एवं सीएफएल की व्यवस्था के साथ ही परिसर की घेराबंदी , परिसर में ईंट सोलिंग की व्यवस्था , परिसर के बाहर स्थित जमीन की घेराबंदी एवं उसमें हरा चारा की व्यवस्था करने की आवश्यकता है . गोलेदार एवं वृतिदाता नियमित रूप से नहीं देते हैं रकम :गोशाला का संचालन गोलेदारों एवं वृतिदाताओं के सहयोग से ही होता है . लेकिन हाल के वर्षो में वृतिदाताओं एवं गोलेदारों द्वारा किसानों से गोशाला के नाम पर रकम तो ली जाती है लेकिन उसे गोशाला को उपलब्ध नहीं कराया जाता है . जिले में ऐसे पांच दर्जन से अधिक वृतिदाता हैं जिनके सहयोग से इस गोशाला का संचालन होता रहा है . विशेष रूप से गोलेदार सही तरीके से गोला नही देते हैं जिससे गोशाला की स्थिती और खराब हो गयी है . गोशाला की स्थापना के साथ ही यह नियमावली बनी थी कि प्रत्येक थोक एवं खुदरा व्यापारी गोशाला से संबद्ध होगा . जो गल्ले का व्यापार करना चाहेगें उन्हे गोशाला को 201 रुपया संबद्धता शुल्क देकर गोशाला का सदस्य बनना अनिर्वाय होगा . लेकिन हाल के वर्षो में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है, जिसके कारण गायों के लिए भोजन की भी समुचित व्यवस्था करने में परेशानी हो रही है. कहां से आती है गायें:गोशाला में वही गायें आती है जो दुध देना बंद कर देती हैं . वहीं कुछ जागरूक किसान अपनी गाय जो दुध देना बंद कर देती है उसे कहीं और देने के बजाय गोशाला में पहुंचा देते हैं . गोशाला में दुध देने वाली एक भी गाय मौजूद नहीं हैं ऐसे में इन गायों के रख रखाव एवं इनके भोजन की व्यवस्था करने में परेशानी होती है .

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें