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वीरान पड़ा है औद्योगिक प्रांगण

जहानाबाद : बड़े ही तामझाम के साथ शहर के निजामुदीनपुर के समीप औद्योगिक प्रांगण की स्थापना की गयी थी. चमड़ा उद्योग के दो सेंटर चर्मशोधन और चर्म वस्तु निर्मित सेंटर के अलावा उन बुनाई केंद्र संचालित की गयी थी. जिसका वजूद पूरी तरह समाप्त हो गया. ओद्योगिक प्रांगण में संचालित किये गये ये तीनों सेंटर […]

जहानाबाद : बड़े ही तामझाम के साथ शहर के निजामुदीनपुर के समीप औद्योगिक प्रांगण की स्थापना की गयी थी. चमड़ा उद्योग के दो सेंटर चर्मशोधन और चर्म वस्तु निर्मित सेंटर के अलावा उन बुनाई केंद्र संचालित की गयी थी. जिसका वजूद पूरी तरह समाप्त हो गया. ओद्योगिक प्रांगण में संचालित किये गये ये तीनों सेंटर अब बंद हो गये हैं.
बल्व और बालटी उद्योग भी बंद. शहर में बालटी और बल्व उद्योग की भी स्थापन की गयी थी. यहां निर्मित बालटी और बल्व सूबे के विभिन्न जिलों में सप्लाइ की जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होता. आवश्यक रखरखाव एवं सरकारी सहायता के अभाव में इन दोनों उद्योगों का अस्तित्व भी समाप्त हो गया.
नहीं हैं स्थायी जी एम : उद्योग विभाग जहानाबाद में विभाग के महाप्रबंधक का पद भी लंबे समय से खाली है. स्थायी जीएम नहीं रहने के कारण विभाग का काम जैसे-तैसे संचालित हो रहा है.
फिलहाल गया के जीएम माकेश्वर द्विवेदी जहानाबाद के अतिरिक्त प्रभार में हैं जो कार्यों के दोहरे दबाव के कारण यहां नियमित रूप से नहीं आते हैं. पूर्व जीएम राय ज्ञानचंद्र के सस्पेंड किये जाने के बाद 17 मार्च 2015 को नालंदा के जीएम सुरेश कुमार ने अतिरिक्त प्रभार संभाला था. पुन: 25 जुलाई से गया के महाप्रबंधक माकेश्वर द्विवेदी अतिरिक्त प्रभार में हैं.
कई पद हैं रिक्त : इस जिले में उद्योग धंधों के विकसित नहीं होने की दिशा में एक बाधा यह भी है कि यहां कई पद रिक्त हैं. जिला उद्योग केंद्र में प्रबंधक के दो पद सृजित हैं और दोनों रिक्त हैं.
औद्योगिक निरीक्षक के स्वीकृत तीन पद में एक रिक्त है. ऐसी हालत में उद्योग धंधे का वजूद मिटना स्वभाविक कहा जा रहा है. इसके अलावा पदस्थापित कर्मियों की डयूटी के प्रति लापरवाही बरतना भी उद्योग धंधे सफल नहीं होने के कारक तत्व हैं. सभी संभावनाएं रहने के बावजूद भी उद्योग स्थापित करने की दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. फलस्वरूप कई जरूरतमंद बेरोजगार इसके लाभ से वंचित हैं. रोजगार पाने के लिए अन्यत्र स्थान र जा रहे हैं.
इन्हें मिलेगा इस कार्यक्रम का लाभ : अधिकतम एक लाख रुपए की पूंजीगत लागत पर कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार देना आवश्यक है.
इस योजना के अन्तर्गत वैसे आवेदक ही लाभान्वित हो सकेंगे जिन्होंने स्वयं अथवा उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने राज्या या केन्द्र सरकार द्वारा संचालित ऐसी किसी भी योजना में लाभ या अनुदान पहले प्राप्त नहीं किया हो. विनिर्माण क्षेत्र के लिए 10 लाख और सेवा क्षेत्र के लिए 5 लाख से अधिक की परियोजना लागत के लिए कम से कम 8 वीं कक्षा पास रहना अनिवार्य है.

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