बदला मौसम: लोग देर सुबह तक अपने-अपने घरों में दुबके रहे. गाडि़यां सड़कों पर न के बराबर दिखीं कुहासे की आगोश में समाया पूरा शहर !रफ्तार पर लगी ब्रेक, ठहर गयी जिंदगी दिन में भी जलती रही बत्तियां अचानक मौसम के बदले मिजाज से परेशान हुए लोग स्कूली बच्चों को हुई परेशानीफोटो-16 इंट्रो: सर्दी की दस्तक के साथ ही कुहासे ने भी अपनी चादर तान दी है. कुहासे की वजह से ट्रेनों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गयी है. ट्रेनें लेट चल रही है, जिससे रेलयात्रियों को भी परेशानी हो रही है. लेकिन, इस कड़ाके की ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों के लिए जिनके पास अपना आशियाना नहीं है. सरकार ने ऐसे लोगों के लिए रैनबसेरा तो बनवाया, लेकिन ज्यादातर रैनबसेरों पर किसी न किसी का कब्जा है. बड़ी परेशानी यह भी है कि रैन बसेरों में न तो अलाव की व्यवस्था है न ही ठंड से बचने के लिए और कोई और संसाधन , ऐसे में गरीब क्या करें. जहानाबाद. सरदी ने जैसे ही वातावरण को अपने आगोश में लिया. कुहासे ने कहर बरपाना शुरू कर दिया. गाडि़यों की रफ्तार की बात कौन करे, ऐसा लगता है, मानों जिंदगी की रफ्तार ही थम गयी है. कुहासे के प्रकोप ने पूरे वातावरण को अपने आगोश में समेट लिया है. लोग देर सुबह तक अपने-अपने घरों में दुबके रहे. गाडि़यां सड़कों पर न के बराबर दिखीं और जो गाडि़यां चल भी रही हैं उन्हें दिन में भी फाग लाइट जलाना पड़ रहा है. कुहासे में गाडि़यों का लड़ना-भिड़ना बहुत ही आम हो गयी है. इधर, कुहासे और ठंड की कहर से आम जनजीवन जूझ रहा है. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इससे बचाव के लिए कोई उपाय अब तक नहीं किये गये हैं. रैन बसेरा में भी कंबल बांटने की व्यवस्था नहीं हुई है. हर वर्ष शीतलहर से बचने के जिला प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था की जाती रही है. लेकिन इस साल अब तक वह भी नदारद है. ठंड का यह कहर गरीबों के लिए तो जानलेवा है ही, रैन बसेरों में रात-गुजारने वालों के लिए भी कम तकलीफदेह नहीं है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन इस बात से बेखबर है. बल्कि जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे हो, इसके लिए आदेश प्रतीक्षा है. आखिर सरकारी बाबू तो सरकारी तरीके से काम करेंगे न. उन्हें मानवीय संवेदना की परवाह थोड़े ही है. दिन भर जलती रही बत्तियां:तापमान में गिरावट के साथ ही कुहासे की कहर से पूरे दिन सूर्य का दर्शन नहीं हो सका. दोपहर तक कुहासे की काली चादर छायी रही. जिसके कारण लोगों को दिन में भी बत्तियां जलानी पड़ी. वहीं वाहनों का परिचालन भी बत्ती जलाकर किया गया. अहले सुबह कुहासा बहुत अधिक था. ऐसे में सड़कों पर रेंग रहे वाहन बत्ती जलाकर ही अपनी यात्रा पूरी करते देखे गये. वहीं घरों में भी अंधेरे को दूर भगाने के लिए लोगों ने लाइट का सहारा लिया. दिन भर घरों की लाइट ऑन रही. मौसम के बदले मिजाज से लोगों की परेशानी बढ़ी:तापमान में गिरावट के साथ ही कुहासे की काली चादर छाये रहने के कारण लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. विशेष रूप से गरीब व लाचार लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. ठंड की मार से वे अपने को कैसे सुरक्षित रख पायेंगे यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. प्रशासन द्वारा भी गरीबों के लिए अब तक कोई सहायता नहीं दिये जाने से उनकी परेशानी बढ़ी है. कुहासे के कारण उनके रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उनके समक्ष आर्थिक संकट भी खड़ा होने लगा है. स्कूली बच्चों को हुई दिक्कतें:कुहासे की काली चादर दिन भर छायी रहने के कारण स्कूली बच्चों को भी दिक्कतें हुईं. अहले सुबह विद्यालय के लिए घर से निकलने वाले बच्चे देर तक ठंड के कारण घरों में ही ठिठुरे बैठे रहे. कुहासे के कारण समय का अाभास भी नहीं हुआ. जिसके कारण कई बच्चे स्कूल देर से पहुंचे वहीं कईयों की स्कूल बस छूट गयी. कुहासे के कारण गृहणियों की भी परेशानी बढ़ गयी है. बच्चों के लिए सुबह का नाश्ता बनाना तथा स्कूल का लंच पैक करना मुश्किल हो गया है. दिन भर नहीं हुआ सूर्य का दर्शन:मंगलवार को पूरे दिन सूर्य का दर्शन नहीं हुआ. कोहरे की काली चादर में पूरा शहर समाया रहा. दोपहर के तीन बजे के करीब कोहरे की चादर छटी तथा आसमान साफ हुआ लेकिन लोगों को धूप का दर्शन नहीं हुआ. कोहरे के कारण शीतलहर का अहसास लोगों को होता रहा. धूप नहीं निकलने से ठंड में और इजाफा देखा गया तथा लोग ठिठुरते दिखे. जिले का तापमान अधिकतम न्यूनतम मंगलवार- 24 14सोमवार- 24 14रविवार- 26 16शनिवार- 26 19
कुहासे की आगोश में समाया पूरा शहर !
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