या अली या हुसैन के नारों से गमगीन हुई फिजाताजिया और सिपहर के साथ प्याला पढ़ा गया पहलाम होगा आज, पारम्परिक खेलो का हुआ प्रदर्शन शाम-ए-गरिबा हुई बरपा शिद्दत से याद आये इमाम हुसैनजहानाबाद . असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मुहर्रम का पर्व मनाया जाता है. इस अवसर पर शनिवार की देर शाम इमामवाडों से ताजिया और सिपहर निकाला गया . बच्चे,बुढ़े, जवान सभी ने या अली या हुसैन के नारे लगाये. इससे फिजा गमगीन हो गयी. शनिवार को मुसलमानों ने याद -ए- हुसैन में रोजे रखे और शाम में शाम -ए- गरिवां का आयोजन किया गया. दसवीं मोहर्रम को ही हजरत इमाम हुसैन अपने बहत्तर साथियों के साथ शहीद हुए थे. उनमें खानदान के बच्चे, जवान और बुढ़े एवं हजरत इमाम हुसैन के साथी भी शामिल थे. यही कारण है कि मुसलमान दसवीं को शाम में शाम-ए- गरिबां का आयोजन करते हैं. दुसरी तरफ ताजिया और सिपहर देर शाम इमामबाड़ों से निकाला गया. इसके साथ ही खिलाडि़यो ने विभिन्न स्थानों पर अखाड़ा का आयोजन कर नागरिक खेल का प्रदर्शन किया. इस अवसर पर अखाड़े के खलिफा और सरदारों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया. ताजिया और सिपहर का जुलूस सट्टी मोड़ एवं उपेंद्र इलेक्ट्रीक सराय रोड के पास मिलान किया गया एवं वहां से एक साथ होकर स्थानीय राजा बाजार में प्याला पढ़ाया गया. प्याला पढ़े जाने के बाद ताजिया एवं सिपहर एक बार फिर इमामबाड़े पर स्थापित हो गई. रविवार को ताजिया और सिपहर इमामवाड़े से निकलेगा और देर रात तक करबला पहुंच कर पहलाम की रस्म अदा की जायेगी.
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या अली या हुसैन के नारों से गमगीन हुई फिजा
या अली या हुसैन के नारों से गमगीन हुई फिजाताजिया और सिपहर के साथ प्याला पढ़ा गया पहलाम होगा आज, पारम्परिक खेलो का हुआ प्रदर्शन शाम-ए-गरिबा हुई बरपा शिद्दत से याद आये इमाम हुसैनजहानाबाद . असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मुहर्रम का पर्व मनाया जाता है. इस अवसर पर शनिवार की देर […]
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