खुलेआम चल रहे अवैध नर्सिंग होम कब तक होता रहेगा प्रसूती और नवजातों की जिंदगी से खेलछापेमारी हुई, पर खेल बंद नहीं करा पाया प्रशासनक्लीनिकल एक्ट का हो रहा सरेआम उल्लंघनसदर अस्पताल के समीप ही फैला अवैध नर्सिंग होमों का मायाजालजहानाबाद .एक तरफ आम -आवाम के स्वास्थ्य को लेकर शासन-प्रशासन पूरा फ्रिकमंद दिख रहा है वहीं, दूसरी ओर जहानाबाद शहर अवैध नर्सिंग होम की गिरफ्त में पूरी तरह से जकड़ चुका है.यहां प्रशासन के नाक के नीचे सरेआम क्वक(फर्जी चिकित्सक)अपना धंधा चमकाने में लगे हैं. प्रसूती महिलाओं से लेकर नवजात बच्चे और अजन्मे भ्रुण पर इनकी नजर टेढ़ी है. खासकर कन्या भ्रुण के मामले में हत्यारा साबित हो रहे ऐसे अवैध नर्सिंग होम बकायदा तंत्र को जुगाड़ के सहारे चलाने की पूरी व्यवस्था कर रखी है. इनके जुगाड़ तंत्र के आगे सारे सिस्टम फेल साबित हो जाते हैं. सदर अस्पताल से लेकर बड़े छोटे दवाखानों तक बाजाप्ता इनके एजेंट तैनात होते हैं. जो जाने- अंजाने गांव से आनेवाले भोले- भाले लोगों को बहलाकर इन नर्सिंग होमों के दरवाजे तक छोड़ आते हैं. इस कार्य के लिए तैनात किये गये एजेंटों को हजार रुपये तक कमीशन बंधा होता है. हालांकि यह कहानी कोई नई नहीं है. जब- जब स्वास्थ्य महकमा एवं प्रशासनिक विभाग के नये अधिकारी आते हैं तो इन नर्सिंग होमों को बंद कराने में रुची दिखाते हैं लेकिन नतीजा अब तक ढाक के तीन पात ही हैं. छापेमारी के बाद भी कई एक बार इन नर्सिग होमों को सिल तक किया जा चुका है लेकिन कुछ ही दिनों के बाद पुन: अपनी दुकान फैला देते हैं .सूत्रों की मानें तो अवैध नर्सिंग होम के संचालक अपनी पैरवी और पैसे की ताकत पर लगातार प्रसूती महिलाओं और नवजात की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. न तो इनके मनमानी पर कोई अंकुश लगा पाया है और ना ही दूर तक इसकी संभावना दिखती है. कई बार इनके खिलाफ सड़क पर भी उतरे हैं लोग :अवैध नर्सिंग होम की काली करतूतों से आजीज आकर मोहल्लेवासी सड़क पर उतर कर अपना गुस्सा दिखा चुके हैं. पूर्व में विंध्यवासनी मार्केट में संचालित नर्सिंंग होम से एक नवजात का शव मोहल्ले में फेंका गया था. इसके बाद आक्रोशित मोहल्लेवासीयों ने स़ड़क पर उतरकर हंगामा किया था. हंगामा की सूचना पर जिलाधिकारी ने छापेमारी करने का निर्देश दिया.लेकिन मौके से नर्सिग होम संचालिका फरार हो गई थी. हालांकि उसी दिन सिविल सर्जन ने दीपशिखा नामक अवैध नर्सिग होम में भी छापेमारी की थी. अब तक नहीं प्रस्तुत कर पायी हैं डिग्री छापेमारी के दौरान सिविल सर्जन द्वारा दीपशिखा नर्सिंग होम की संचालिका से उसके डिग्री का प्रमाण पत्र मांगा गया था , लेकिन उसके द्वारा अब तक प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है.सीएस ने जतायी थी आशंका :दीपशिखा नर्सिंग होम में टंगे बोर्ड पर जिस महिला चिकित्सक का नाम लिखा था उसके बारे में सिविल सर्जन शोभा सिन्हा उसकी डिग्री फर्जी होने की आशंका जाहिर कर चुकी है. लेकिन अब तक ना तो बोर्ड की जांच हुई है और ना ही डिग्री के बारे में सार्वजनिक खुलासा हो सका.सरकारी डाॅक्टर को बनाते हैं मोहरा:छापेमारी के दौरान दीपशिखा नर्सिंग होम की संचालिका ने यह कबूल किया था कि सदर अस्पताल में पद स्थापित डा. बीके.झा हमारे क्लीनिक में आते हैं. इसके बाद सिविल सर्जन ने उक्त डाक्टर से स्पष्टीकरण की मांग की थी. लेकिन उक्त डाक्टर द्वारा दिये गये जबाव से सीएस असंतुष्ट हैं. सालाना होती है मोटी कमाई. शहर में संचालित नर्सिंग होमों मेंं प्रतिदिन लगभग 5 लाख की कमाई होती है. इस अनुसार पूरे वर्ष भर की कमाई का सहज ही आकलन किया जा सकता है.क्या कहते हैं डीएम:छापेमारी के बाद प्राप्त हुई जांच रिर्पोट की समीक्षा की जायेगी. हर हाल में क्लीनिकल एक्ट बहाल होगा. शहर में चल रहे अवैध नर्सिग होमों पर शिकंजा कसेंगें. इसके लिए जल्द ही प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग मिलकर कदम उठायेगी: मनोज कुमार सिंह क्या कहते हैं सीएस: क्लीनिकल स्टैबलिस्टमेंट एक्ट के तहत क्लीनिकों को रजिस्टर्ड करने की प्रक्रिया जारी है .इसके लिए राज्य से स्पष्ट दिशा-निर्देश मांगा गया है . दिशा -निर्देश मिलते ही क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन होगा : डाॅ अरुण कुमार सिंह
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खुलेआम चल रहे अवैध नर्सिंग होम
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