बिहटा : प्रखंड में फसल क्षतिपूर्ति योजना और डीजल सब्सिडी किसानों के लिए छलावा साबित हो रही है.
बीते तीन वर्षों से डीजल अनुदान राशि के वितरण में काफी उदासीनता बरती जा रही है़ पिछले साल खरीफ फसल की हुई क्षति के बाद सरकार द्वारा किये गये सर्वे के बाद फसल क्षतिपूर्ति योजना के अंतर्गत पीड़ित किसानों को अनुदान देने की घोषणा की गयी थी.
वहीं, घोषणा के बाद बिहटा की विभिन्न पंचायतों के करीब 2500 किसानों ने फसल क्षतिपूर्ति योजना के तहत अपना- अपना आवेदन दिया था.
किसानों के आवेदन के बाद उनकी भूमि पर हुई फसल की क्षति का सर्वे करके अनुदान की राशि के लिए जिला को भेजा गया. बीते चार महीनों पूर्व बिहटा के किसानों के बीच फसल क्षतिपूर्ति योजना के तहत अनुदान देने के लिए जिला से करीब 80 करोड़ रुपये का आवंटन आया, लेकिन विभागीय अधिकारी की उदासीनता के कारण आज तक किसानों को मिलनेवाली अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया गया. किसान कार्यालय का रोज चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन किसानों का दर्द सुननेवाला कोई नहीं है.
पूर्व में भी नहीं बांटी गयी थी राशि : 2014-15 में डीजल अनुदान के लिए करीब 2800 किसानों ने अपना-अपना आवेदन दिया. इस साल खरीफ फसल में किसानों को डीजल अनुदान के वास्ते प्रखंड को जिला से लाखों रुपये प्राप्त हुए,
लेकिन मात्र कुछ किसानों को इसका लाभ देने के बाद राशि वितरण का कार्य बंद कर दिया गया. बाद में अधिकारी द्वारा समय- सीमा समाप्त हो जाने की बात कहते हुए करीब दो हजार किसानों को डीजल का अनुदान लेने से वंचित कर दिया गया. 2012-13 में करीब 4500 किसानों ने डीजल अनुदान की राशि के लिए आवेदन दिया था,
लेकिन मात्र 50 प्रतिशत किसानों को ही योजना का लाभ मिल पाया था. प्रखंड के अधिकारी समय- सीमा समाप्त हो जाने की बात कहते हुए अनुदान के करीब तीस लाख रुपये जिला को वापस कर दिये़ वहीं, 2013-14 में भी 5000 किसानों का आवेदन आया, लेकिन उसमें से भी किसान सलाहकार मात्र दो पानी का ही अनुदान बांट पाये़ शेष राशि करीब बीस लाख जिला को वापस हो गयी थी.
क्या कहते हैं किसान : बिहटा प्रखंड के किसानों के बीच वितरण की जा रही डीजल अनुदान राशि इन दिनों ऊंट के मुंह में जीरा की कहावत को चरितार्थ कर रही है. उक्त बातें अमहरा के किसान अवनीश नंदन, अशोक कुमार सिंह ,देव शंकर सिंह ,ललन बाबा, सुमित कुमार, विवेक रंजन आदि ने कहीं. इन किसानों ने कहा कि एक तरफ सरकार कृषि रोड मैप बना किसानों को खुशहाल करने का कवायद कर रहे हैं.
वहीं, विभागीय अधिकारी ,पदाधिकारी ने किसानों के जख्म पर मरहम लगाने के बजाय उसे और गहरा बनाने मे अपना कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे . मौसम की मार से बेहाल किसानों के बीच चार पानी के पटवन के लिए प्रति एकड़ ढाई सौ रुपये के हिसाब से डीजल अनुदान की राशि का वितरण किया जाना था,
लेकिन किसान सलाहकार और कृषि अधिकारी मिल कर कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि पंचायत के किसान सलाहकार पंचायत में कभी नहीं आते हैं . कृषि कार्यालय में ही अपना कार्यालय चलाते हैं.