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प्राचार्य से वार्ता के बाद आंदोलन वापस
प्रशासनिक भवन में तालाबंदी कर किया धरना-प्रदर्शन जहानाबाद(नगर) : एसएस कॉलेज शिक्षकेतर कर्मचारी संघ का आंदोलन समाप्त हो गया. कर्मचारी संघ विभिन्न मांगों को लेकर 11 सितंबर से आंदोलन कर रहा था. आंदोलन कर रहे शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के नेताओं की वार्ता महाविद्यालय के प्राचार्य के साथ हुई. वार्ता के उपरांत प्राचार्य ने संघ की […]
प्रशासनिक भवन में तालाबंदी कर किया धरना-प्रदर्शन
जहानाबाद(नगर) : एसएस कॉलेज शिक्षकेतर कर्मचारी संघ का आंदोलन समाप्त हो गया. कर्मचारी संघ विभिन्न मांगों को लेकर 11 सितंबर से आंदोलन कर रहा था. आंदोलन कर रहे शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के नेताओं की वार्ता महाविद्यालय के प्राचार्य के साथ हुई. वार्ता के उपरांत प्राचार्य ने संघ की मांग को सही बताते हुए एक सप्ताह के अंदर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद शिक्षकेतर कर्मचारी संघ द्वारा आंदोलन वापस ले लिया गया.
कर्मचारी संघ द्वारा वितीय वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 के बकाया आंशिक वेतन का भुगतान करने, मार्च 2015 से पूर्ण वेतन भुगतान सुनिश्चित करने, नव प्रोन्नत कर्मियों की प्रोन्नति के फलस्वरूप देय वेतनमान लागू करने, स्थानांतरित शिक्षकेतर कर्मियों का फरवरी, 2013 का आंशिक बकाया वेतन का भुगतान करने तथा चतुर्थवर्गीय कर्मियों की वरदी का भुगतान करने की बात को लेकर आंदोलन किया जा रहा था. शिक्षकेतर कर्मचारियों द्वारा इन मांगों को लेकर 11 सितंबर से कलमबंद हड़ताल की गयी थी. हड़ताली कर्मचारियों ने सोमवार को महाविद्यालय का प्रशासनिक कार्य ठप कर प्रशासनिक भवन में तालाबंदी कर प्रधानाचार्य कक्ष के बाहर धरना-प्रदर्शन किया.
शिक्षकेतर कर्मचारियों की मांगों का बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने भी समर्थन किया था तथा हड़ताली कर्मियों को आश्वस्त किया था कि अगर महाविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लेता है, तो जहानाबाद एवं अरवल के सभी कॉलेज कर्मी हड़ताल में शामिल हो जायेंगे. धरना-प्रदर्शन कर रहे हड़ताली कर्मियों का कहना था कि कुलपति द्वारा आंतरिक स्र से बकाये राशि की भुगतान के लिए आदेश निर्गत किया गया था.
लेकिन महाविद्यालय की आंतरिक श्रोत की राशि का बकाया वेतन भुगतान को छोड़ कर अन्य विभिन्न मदों में व्यय किया गया. हड़ताली कर्मियों के धरना-प्रदर्शन के दौरान प्राचार्य द्वारा उन्हें वार्ता के लिए बुलाया गया तथा एक सप्ताह के अंदर उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन देकर आंदोलन को समाप्त कराया गया.
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