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जहर उगल रहीं जजर्र गाड़ियां
सड़कों पर चलाये जा रहे अयोग्य करार देने लायक वर्षो पुराने वाहन जिले की सड़कों पर दौड़ रही खटारा व पुरानी जजर्र गाड़ियां धुएं की शक्ल में कार्बनडाइऑक्साइड जैसी जहर उगल रही है. इन गाड़ियों से ध्वनि प्रदूषन के साथ ही वायु प्रदूषण भी फैल रहा है. इससे कई तरह की बिमारियां फैलने की आशंका […]
सड़कों पर चलाये जा रहे अयोग्य करार देने लायक वर्षो पुराने वाहन
जिले की सड़कों पर दौड़ रही खटारा व पुरानी जजर्र गाड़ियां धुएं की शक्ल में कार्बनडाइऑक्साइड जैसी जहर उगल रही है. इन गाड़ियों से ध्वनि प्रदूषन के साथ ही वायु प्रदूषण भी फैल रहा है.
इससे कई तरह की बिमारियां फैलने की आशंका प्रबल हो उठी हैं. सड़कों पर दौड़ रही इन गाड़ियों पर प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है. इन गाड़ियों का कभी प्रदूषन जांच कराना तो दूर, उन्हें परिचालन के अयोग्य ठहराना भी प्रशासन मुनासिब नहीं समझ रहा है. ऐसे में ये गाड़ियां सड़कों पर धुएं की शक्ल में जहर उगल उगल रही है.
जहानाबाद (नगर) : शहर की सड़कों पर इन दिनों थोक भाव में खटारा गाड़ियां दौड़ रही हैं, जो परिचालन योग्य नहीं हैं. इन गाड़ियों का प्रदूषण की जांच भी नहीं करायी जाती है. ये गाड़ियां धुएं के रूप में भारी मात्र में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फयूरिक एसिड उगल रही है, जो वायुमंडल को दूषित कर रहा है.
वाहनों से निकलने वाले धुएं से नेत्र व त्वचा कुप्रभावित हो रहा है, वहीं लोगों में टीबी, दम्मा जैसी बीमारियां भी फैलने की आशंका प्रबल होती जा रही है. परंतु प्रशासन इस तरफ से लापरवाह बना बैठा है. इससे यात्रियों के साथ-साथ आम लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है, लेकिन प्रशासन न तो इन गाड़ियों का प्रदूषन चेक करता है और न ही इन्हें परिचालन से अयोग्य करार दे रहा है.
15 वर्ष से अधिक पुरानी गाड़ियां परिचालन के योग्य नहीं : बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के ख्याल से 15 वर्ष से अधिक पुरानी गाड़ियों को अयोग्य करार देते हुए सड़कों से हटाने का आदेश सरकार ने पूर्व में जारी की थी. नियमानुकूल वाहनों का प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य है. बगैर प्रदूषण जांच के गाड़ियों के चलाने पर सख्त मनाही है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण वर्षो पुरानी खटारा गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही है, जो थोक भाव से धुएं उगल रही है.
धूएं से सवार यात्रियों को भी होती है परेशानी : परिचालन से अयोग्य वर्षो पुरानी जजर्र गाड़ियां किसी तरह मरम्मत कर सड़कों पर चलायी जा रही है. इन गाड़ियों से काफी मात्र निकलने वाले धुएं से सवार यात्रियों को काफी परेशानी होती है.
लोग सफर के दौरान नाक पर रूमाल रखे रहते हैं, फिर भी गाड़ियों में भरे कार्बन डाइऑक्साइड हवा में घूल कर सांस के द्वारा इनके फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है, जिससे इन्हें खांसी उठने लगती है. वहीं धुएं से आंखों में जलन भी होने लगता है, नतीजा आंखों से पानी भी चलने लगता है.
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