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समय से नहीं खुलते हैं कई केंद्र पोषाहार वितरण में हो रही गड़बड़ी

नौनिहाल व प्रसूति महिलाओं के कुपोषण मिटाने में बरती जा रही है सुस्ती जहानाबाद (नगर) : जिले में 995 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, लेकिन इनमें से दो तिहाई केंद्रों का बुरा हाल है. ये सभी मानक से काफी पीछे चल रहे हैं. नौनिहालों और प्रसूति महिलाओं का कुपोषण मिटाने में बरती जा रही सुस्ती का […]

नौनिहाल व प्रसूति महिलाओं के कुपोषण मिटाने में बरती जा रही है सुस्ती
जहानाबाद (नगर) : जिले में 995 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, लेकिन इनमें से दो तिहाई केंद्रों का बुरा हाल है. ये सभी मानक से काफी पीछे चल रहे हैं. नौनिहालों और प्रसूति महिलाओं का कुपोषण मिटाने में बरती जा रही सुस्ती का आलम यह है कि कई केंद्र समय से नहीं खुलते. यहां पोषाहार वितरण में भी प्राय: गड़बड़ियां मिलती रहती है.
दोषपूर्ण सेवा के लिए सहायिका-सेविका के साथ प्रबंधन भी जिम्मेवार है. लाभुकों का सीधा आरोप है कि लचर व्यवस्था के कारण उनके बच्चे इन केंद्रों का पर्याप्त लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. जुटाये गये आंकड़ों पर भरोसा करें, तो जिले में 547 आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी भवन में संचालित हैं. जबकि 79 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माणाधीन हैं. 187 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास जमीन उपलब्ध हैं, लेकिन भवन नहीं बन पाये हैं.
170 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास तो अबतक अपनी जमीन भी मयस्सर नहीं है. बताया गया है कि इन आंगनबाड़ी केंद्रों की उनके क्रियाकलापों के आधार पर मासिक ग्रेडिंग होती है. वर्तमान में 995 केंद्रों में 262 ए ग्रेड, 384 बी ग्रेड, 246 सी ग्रेड तथा 92 डी ग्रेड के केंद्र हैं. ऐसे में दो तिहाई आंगनबाड़ी केंद्रों पर अभी और ध्यान देने की जरूरत है.
मानक की बात करें, तो यहां वजन लेने का मशीन, दो कुरसी, टेबल, फिल्टर, हाथ धोने के लिए साबुन, तौलिया तथा गरम पानी करने के लिए बरतन उपलब्ध कराये गये हैं, लेकिन कई केंद्रों पर इन सामग्रियों की कमी साफ देखी जा सकती है. पोषाहार और टीएचआर देने में भी कई सेविकाएं आनाकानी करती हैं. बताया गया है कि समेकित बाल विकास सेवा परियोजना के तहत संचालित इन केंद्रों से करीब 39 हजार से अधिक बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
कुछ शिकायतों के साथ जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन बेहतर हो रहा है. सभी केंद्र खुलते हैं और उनकी मॉनीटरिंग भी की जाती है. बच्चों की संख्या बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
रविभूषण, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी

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