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एनएच पर गड्ढों के कारण यात्रा करने में होती है परेशानी

जहानाबाद नगर : बिहार पर्यटन की दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण पटना-गया-डोभी एनएच 83 का हाल बेहाल है. एनएच पर बने गड्ढे यात्रियों को परेशान कर दिया है, जिसके कारण इस सड़क पर चलना भी मुश्किल हो रहा है. कई स्थानों पर तो गड्ढे इस कदर उभर आये हैं कि वहां सड़क का अस्तित्व भी समाप्त […]

जहानाबाद नगर : बिहार पर्यटन की दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण पटना-गया-डोभी एनएच 83 का हाल बेहाल है. एनएच पर बने गड्ढे यात्रियों को परेशान कर दिया है, जिसके कारण इस सड़क पर चलना भी मुश्किल हो रहा है. कई स्थानों पर तो गड्ढे इस कदर उभर आये हैं कि वहां सड़क का अस्तित्व भी समाप्त हो गया है. हालांकि एनएच 83 की जर्जर स्थिति को देखते हुए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्वयं इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

एनएचआइ द्वारा न्यायालय में सड़क मरम्मत से संबंधित हलफनामा भी दायर किया गया है लेकिन हलफनामे का कोरम पूरा होता नहीं दिख रहा है. अब भी कई स्थानों पर गड्ढे उभरे हुए हैं जो यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बना है. पटना-गया एनएच 83 के फोर लेन चौड़ीकरण का काम फिलहाल बंद पड़ा है. इस सड़क को पीएम पैकेज में चयनित कर प्राथमिकता से बनाने का निर्णय लिया गया था.
सड़क निर्माण तथा भूमि अधिग्रहण के लिए 2265 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली थी. सड़क का निर्माण कार्य 2018 में ही पूरा होना था लेकिन भूमि अधिग्रहण तथा अन्य कई कारणों से निर्माण कार्य नहीं हुआ, जिसके कारण 2265 करोड़ में बननेवाला इस नेशनल हाइवे की लागत बढ़कर 5526 करोड़ रुपये हो गयी है. अप्रैल 2015 में फोर लेन चौड़ीकरण की जिम्मेदारी आइएल एंड एफएस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन एजेंसी को दी गयी थी.
कंपनी द्वारा कुछ स्थानों पर कार्य भी किया गया लेकिन अक्तूबर, 2018 में कंपनी काम छोड़कर भाग गयी तब से सड़क निर्माण का कार्य बंद पड़ा है. कंपनी जब काम छोड़कर भागी थी उस समय 127 किलोमीटर लंबी इस सड़क की मात्र 15 किलोमीटर ही फोर लेन बन पायी थी. वर्तमान में यह सड़क चलने लायक भी नहीं है. गड्ढों के कारण जान-जोखिम में डाल यात्रा करने को यात्री मजबूर हैं. जबकि यह सड़क पटना को बोधगया जैसे ऐतिहासिक पर्यटक स्थल से जोड़ता है.
189 हेक्टेयर भूमि का किया है अधिग्रहण
जहानाबाद जिले में पटना-गया-डोभी एनएच 83 का 34 किलोमीटर सड़क बननी है. इसके लिए 189 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है. इसके लिए मुआवजे के रूप में 280 करोड़ रुपये किसानों के बीच बांटे भी जा चुके हैं. जबकि भू-अर्जन विभाग के पास अब भी 590 करोड़ रुपये प्राप्त हैं, जो कि किसानों के बीच मुआवजे के रूप में बांटा जाना है. जिले में सरकारी दर से चार गुना मुआवजा की मांग को लेकर किसानों द्वारा कई बार मुआवजा लेने से इन्कार किया गया है.
जिले की 35 गांवों की 189.645 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत है. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी दर का चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में सरकारी दर का दो गुना के हिसाब से मुआवजा वितरित किया गया है. अन्य किसानों के बीच मुआवजा वितरण के लिए शिविर लगाकर उन्हें मुआवजा उपलब्ध कराया जा रहा है. एनएच 83 सिक्स लेन बनना है, जिसमें पहले फेज में फोर लेन सड़क बनेगी.
एनएच मरम्मत का दिया गया है निर्देश
एनएच 83 में उभर आये गड्ढे को भरने का निर्देश एनएचआइ को दिया गया है. यह एनएचआइ की ही जिम्मेदारी है कि बेहतर राइडिंग सरफेस उपलब्ध कराये. वर्तमान में एनएच 83 की सड़क गड्ढों में तब्दील है, जिससे यात्रा करना मुश्किल हो रहा है. जबकि पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं. एनएचआइ द्वारा फरवरी माह तक गड्ढों को भरने से संबंधित शपथ पत्र न्यायालय में दिया गया है. अब देखना यह है कि निर्धारित समय में गड्ढों को भरकर बेहतर राइडिंग सरफेस उपलब्ध करा पाता है या नहीं.
नवीन कुमार, डीएम, जहानाबाद
किया जा रहा है गड्ढा भरने का काम
एनएच 83 में उभर आये गड्ढे को भरने का काम किया जा रहा है. एनएचआइ द्वारा कई स्थानों पर गड्ढा भरा गया है. अन्य स्थानों पर भी भरने का काम जारी है. एक तरफ गड्ढा भरा जाता है तो दूसरी तरफ गड्ढा निकल जाता है. सड़क की स्थिति काफी जर्जर हो गयी है. ऐसे में गड्ढा भरने के बाद सड़क के ऊपर से पतला लेयर डालने की तैयारी है ताकि एक वर्ष तक सड़क का बेहतर उपयोग हो सके. टेंडर की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है.
पीआर पांडेय, इंजीनियर, एनएचआइ
एनएच 83 के लिए बना है हेल्पडेस्क
एनएच 83 सड़क निर्माण में जिन किसानों की जमीन ली गयी है, उन किसानों को जमीन का मुआवजा लेने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसे देखते हुए भू-अर्जन कार्यालय में हेल्पडेस्क बनाया गया है. राजस्व पदाधिकारी गुलाम सरवर को इसका इंचार्ज बनाया गया है. हेल्पडेस्क का उद्देश्य वैसे किसानों को जानकारी देना है जो अब तक मुआवजे के लिए आवेदन नहीं किये हैं़ उन्हें यह बताया जा रहा है कि उन्हें मुआवजा के लिए कौन-कौन सा पेपर जमा कराना है.
सत्यप्रकाश, भू-अर्जन पदाधिकारी, जहानाबाद
2022 तक बन जायेगी पटना-डोभी सड़क
तीन हिस्सों में बांटकर किया है रिटेंडर
पटना-गया-डोभी एनएच 83 को फोर लेन बनाने के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एनएचआइ द्वारा रिटेंडर किया गया है. इस बननेवाले फोर लेन सड़क को सिक्स लेन में तब्दील करना है. ऐसे में इस बार 127 किलोमीटर लंबी सड़क को तीन हिस्सों में बांटकर रिटेंडर किया गया है.
एनएचआइ द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण में 2234 करोड़ खर्च होना है. जबकि भूमि अधिग्रहण में 3200 करोड़ से अधिक खर्च होना है. पूरा प्रोजेक्ट 5526 करोड़ रुपये का है. इस बार पटना से 39 किलोमीटर के लिए 755 करोड़, 39-83 किलोमीटर के लिए 541 करोड़ तथा 83-127 किलोमीटर के लिए 531 करोड़ का रिटेंडर किया गया है. हालांकि टेंडर अब तक फाइनल नहीं हुआ है.
2022 तक बन जायेगी पटना-डोभी सड़क
पटना : पटना-डोभी नेशनल हाइवे सड़क 2022 तक बन जायेगी. इस सड़क के खस्ताहाल होने को लेकर मंगलवार को पटना हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. पटना हाइ कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जब इस सड़क से गुजर रहे थे, तो उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. अंत में उन्होंने सड़क छोड़ ट्रेन से पटना पहुंचने का निर्णय लेना पड़ा. मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई आरंभ की है. हाइकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार और एनएचएआइ की ओर से अपना पक्ष रखा जायेगा.
प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश किया जायेगा. पटना से डोभी- गया तक जानेवाली इस सड़क को लेकर नया टेंडर फाइनल स्टेज में है और एजेंसी का चयन मार्च तक होने की संभावना है. एजेंसी का चयन होने की तिथि से इस सड़क को बनाने की डेटलाइन दो साल रखी गयी है. एनएचएआइ के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जमीन अधिग्रहण का पेच फंसने से इसकी लागत करीब दो गुना बढ़ गयी है. पहले इसकी कुल लागत 2234 करोड़ रुपये थी. अब यह बढ़कर 5526 करोड़ों की हो गयी है. इसमें जमीन की कीमत और सड़क निर्माण का खर्च शामिल है.
सूत्रों का कहना है कि करीब 127 किलोमीटर लंबी इस सड़क को बनाने के लिए अब तक 109 किलोमीटर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है. इसमें से राज्य सरकार ने करीब 70 किलोमीटर जमीन पर कब्जा हासिल कर लिया है. अधिगृहीत की गयी जमीन पर बहुत सारे मकान अवस्थित हैं. उन्हें तोड़ने की कार्रवाई चल रही है.
यह सड़क पटना और जहानाबाद जिले से होकर बोध गया के डोभी तक जाती है. जमीन अधिग्रहण की सबसे अधिक समस्या जहानाबाद जिले में है. जिले में करीब दो सौ मकानों को गिराया जाना है. वहीं पटना जिले में करीब डेढ़ सौ और गया जिले में सात सौ मकानों को गिराया जाना है. पटना और गया जिले में जमीन अधिग्रहण और जमीन पर सरकार के कब्जे की कार्रवाई ठीक तरीके से रही है. जहानाबाद में जिन स्थानों पर समस्या है, उसका समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है.
तीन हिस्सों में बांटकर किया है रिटेंडर
पटना-गया-डोभी एनएच 83 को फोर लेन बनाने के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एनएचआइ द्वारा रिटेंडर किया गया है. इस बननेवाले फोर लेन सड़क को सिक्स लेन में तब्दील करना है. ऐसे में इस बार 127 किलोमीटर लंबी सड़क को तीन हिस्सों में बांटकर रिटेंडर किया गया है. एनएचआइ द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण में 2234 करोड़ खर्च होना है. जबकि भूमि अधिग्रहण में 3200 करोड़ से अधिक खर्च होना है. पूरा प्रोजेक्ट 5526 करोड़ रुपये का है. इस बार पटना से 39 किलोमीटर के लिए 755 करोड़, 39-83 किलोमीटर के लिए 541 करोड़ तथा 83-127 किलोमीटर के लिए 531 करोड़ का रिटेंडर किया गया है. हालांकि टेंडर अब तक फाइनल नहीं हुआ है.

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