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बवाल ने व्यवसाय को किया तहस नहस, 120 करोड़ का नुकसान

जहानाबाद : बुधवार को शहर की दुकानें पहले की तरह खुलीं और दिन भर व्यवसायी ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहे. हालांकि, सड़कों पर चहल-पहल थी और रोज से ज्यादा लोग घरों से बाहर बाजार में दिखे लेकिन व्यवसायियों की मानें तो आम दिनों के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई ग्राहक ही दुकानों में आये. पिछले […]

जहानाबाद : बुधवार को शहर की दुकानें पहले की तरह खुलीं और दिन भर व्यवसायी ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहे. हालांकि, सड़कों पर चहल-पहल थी और रोज से ज्यादा लोग घरों से बाहर बाजार में दिखे लेकिन व्यवसायियों की मानें तो आम दिनों के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई ग्राहक ही दुकानों में आये. पिछले छह दिनों में हिंसा, तनाव, धारा 144 और प्रशासनिक पाबंदियों की मार सबसे ज्यादा व्यवसायियों को उठानी पड़ी.

चैंबर ऑफ कॉमर्स के लोगों की मानें तो रोजाना करीब 20 करोड़ का न्यूनतम घाटा शहर के व्यवसायियों को उठाना पड़ा है. पिछले छह दिनों में यह आंकड़ा 120 करोड़ के आसपास पहुंचता है. हिंसा में जिनकी दुकानों को क्षति पहुंची है, उनको तो सरकार की तरफ से मुआवजा मिला, लेकिन कई लोगों की दुकानें बंद रहने के कारण भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी. शहर में दशहरे के पहले आयी बाढ़ ने त्योहार के समय बिक्री पर पानी फेरा.
बाढ़ का पानी उतरने के बाद बाजार में रौनक लौटने लगी. व्यवसायी आने वाले त्योहारों करवाचौथ, धनतेरस, दीपावली और छठ के समय होने वाली बिकवाली की तैयारी में जुट गये, लेकिन दशहरे के अगले ही दिन मूर्ति विसर्जन जुलूस पर हुए पथराव और उसके बाद के हिंसा और तनाव के बाद लगातार छह दिनों तक दुकानें बंद रहीं.
हालांकि, तीन दिनों के बाद प्रशासन ने रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानों को निश्चित समय अवधि के लिए खोलने की छूट दी पर व्यवसायियों के सामने इस बात को लेकर संशय था कि शहर में जारी तनाव कितने दिनों तक रहेगा. शहर के थोक व्यवसायियों की मानें तो खुदरा व्यवसायियों ने पिछले एक सप्ताह से न तो माल खरीदा और न ही पुराने पैसे की वसूली हो पायी. ऐसे में धनतेरस और दीपावली भी फीकी रह जायेगी.
क्या कहते हैं व्यवसायी
सबसे ज्यादा मार फुटपाथी दुकानदारों पर पड़ी है. कई के घरों में चूल्हे नहीं जले. वहीं दुकानों के बंद होने से बिक्री न होने से उनका सामान बर्बाद हो गया. कई तो कर्ज तले डूब गये हैं. इनकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है, न ही सरकार की कोई योजना इनको कोई राहत पहुंचा रही है.
अरविंद चोपड़ा, अध्यक्ष, फुटपाथ दुकानदार संघ
दुकानें खुलने के बाद भी खरीदार नहीं आ रहे हैं. शहर के मेरे जैसे व्यवसायियों ने धनतेरस और दीपावली के लिए ऑर्डर नहीं किये, क्योंकि किसी को यह नहीं पता कि हालात कैसे होंगे. ऐसे में पूंजी लगाना काफी जोखिम का काम है. सीजनल व्यवसायियों को पिछले दिनों की तनाव और बवाल में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.
राजीव रंजन कुमार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विक्रेता संघ
छह दिनों तक दुकानें बंद रहने से एक-एक दुकानदार को हजारों-लाखों का नुकसान झेलना पड़ा है. शादियों और त्योहारों के आने वाले सीजन को देखते हुए अभी बिकवाली बहुत तेज रहती है. ऐसे समय में हुए तनाव से भारी घाटा उठाना पड़ा है, जिससे उबरने में महीनों लग जायेंगे.
राहुल कुमार, किराना दुकानदार संघ
बरसात और पितृ पक्ष के कारण कई दिनों तक बाजार में मंदी का माहौल था. व्यवसायियों को दशहरे, दीपावली और छठ में भारी कारोबार की उम्मीद थी, लेकिन दशहरे को बाढ़ ने चौपट किया. वहीं दीपावली और शादी के सीजन से पहले दंगे ने व्यवसायियों को भारी नुकसान पहुंचाया.
सुधीर केशरी, मॉल संचालक, चैंबर ऑफ कॉमर्स
फुटपाथ दुकानदारों को पड़े खाने के लाले
फुटपाथ दुकानदार जो सड़कों, गलियों और चौराहों पर ठेले, खोमचे, गुमटी लगाकर अपना जीवनयापन करते हैं. पिछले छह दिनों से उनका व्यवसाय बेहद प्रभावित हुआ है. कई फेरीवाले, सब्जीवाले, ठेलेवाले के घरों में एक-दो ही दिनों में चूल्हे जलने पर भी आफत हो गयी. रोज कमाकर खानेवाले लोगों ने किसी तरह आस-पड़ोस के लोगों से उधार मांगकर या एक ही समय खाना खाकर दिन काटे.

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