जहानाबाद :बिहारके जहानाबादमें सोमवार की अहले सुबह सदर अस्पताल में दो दिनों से इलाजरत एक अज्ञात किशोर परिजनों की आस में दम तोड़ दिया. विगत 15 दिसंबर की दोपहर से ही इमरजेंसी वार्ड के बेड पर अचेतावस्था में पड़े इस किशोर की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है. चिकित्सक द्वारा उसका इलाज तो किया जा रहा था, लेकिन उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने 15 दिसंबर को ही उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया था.हालांकि, मरीज के साथ कोई परिजन नहीं होने के कारण उसे पीएमसीएच नहीं ले जाया जा सका जिसके कारण बेहतर इलाज के अभाव में उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया.
अज्ञात किशोर की मौत के बाद ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक द्वारा इसकी जानकारी नगर थाने की पुलिस को दी गयी. पुलिस अस्पताल पहुंच कर शव का पंचनामा तैयार किया तथा उसका पोस्टमार्टम कराया. फिलहाल शव को पोस्टमार्टम हाउस में ही पहचान के लिए रखा गया है. 15 दिसंबर की दोपहर 12:55 बजे उक्त अज्ञात किशोर को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मखदुमपुर का एंबुलेंस चालक सदर अस्पताल पहुंचा था. एंबुलेंस चालक द्वारा सदर अस्पताल में उसकी इंट्री करा उसे इमरजेंसी वार्ड में एडमिट करा दिया गया था. उस समय तैनात चिकित्सक द्वारा उक्त अज्ञात किशोर का इलाज किया गया, लेकिन उसकी हालत गंभीर देखते हुए उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया था.
पहचान के लिए रखा गया शव
पोस्टमार्टम के बाद शव को पहचान के लिए शवदाह गृह में रखा गया है. पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक डॉ बीके शाही ने बताया कि उक्त किशोर के शरीर पर इंज्यूरी मिले हैं. साथ ही ठंड लगने के कारण भी उसकी जान जाने की संभावना है. उन्होंने बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली थी कि किसी वाहन के ठोकर से किशोर घायल होकर सड़क किनारे गिरा था जिसे लोगों द्वारा पीएचसी मखदुमपुर पहुंचाया गया था. अचेतावस्था में ही पीएचसी मखदुमपुर द्वारा विशेष इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया था. सदर अस्पताल में उसका प्राथमिक उपचार किया गया तथा उसे विशेष इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था लेकिन वह पीएमसीएच नहीं गया. सोमवार की अहले सुबह उक्त किशोर ने दम तोड़ दिया.
सिस्टम में हुई है चूक
अज्ञात मरीजों को विशेष इलाज के लिए बड़े अस्पताल में भेजने की व्यवस्था है. एंबुलेंस के साथ एक गार्ड को भी भेजा जाता है जो कि मरीज को एडमिट करा वापस लौट आता है. इस मामले में कहीं न कहीं चूक हुई है. जिस चिकित्सक द्वारा अज्ञात किशोर का इलाज किया गया था. उसने इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को नहीं दिया. सिर्फ परची पर ही उसे रेफर कर छोड़ दिया. (डॉ बीके झा, प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक)