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परिजनों ने ठुकराया, गैरों ने अपनाया…

कुछ दिन पूर्व अस्पताल में छोड़ गये थे परिजन शख्स की नहीं हो सकी पहचान जहानाबाद. मानसिक रूप से विकलांग 35 वर्षीय अज्ञात युवक विगत कई दिनों से सदर अस्पताल के द्वार पर भूखे-प्यासे तड़पता रहा. जबकि उस मार्ग से हर रोज सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती रही. उसी भीड़ से निकला एक युवा का […]

कुछ दिन पूर्व अस्पताल में छोड़ गये थे परिजन

शख्स की नहीं हो सकी पहचान
जहानाबाद. मानसिक रूप से विकलांग 35 वर्षीय अज्ञात युवक विगत कई दिनों से सदर अस्पताल के द्वार पर भूखे-प्यासे तड़पता रहा. जबकि उस मार्ग से हर रोज सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती रही. उसी भीड़ से निकला एक युवा का दिल तड़प रहे युवक पर पिघला और वह उसे गले लगा कर न सिर्फ उसका इलाज कराया बल्कि अस्पताल में इलाजरत उस शख्स की सेवा में भी जी-जान से जुटा रहा. लोग कहते हैं कि कुछ दिनों पूर्व ही दो युवक इस लाचार शख्स को लेकर अस्पताल पहुंचे थे. जो शायद उसके परिजन ही थे.
लेकिन एक तरफ ईश्वर ने इसे लाचार किया तो दूसरी ओर उसके परिजन भी देखभाल और इलाज कराने के बजाय उसकी हाल पर ही जीने-मरने के लिए अस्पताल में छोड़ गया. नया टोला का निवासी राहुल की नजर जब उस दर्द से कराह रहे उस शख्स पर पड़ी तो उसके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए वो भावुक हो पड़ा. बकौल राहुल कहता है कि जब अस्पताल में इस लाचार शख्स पर मेरी नजर पड़ी तो उसकी तड़प और वेदना को मैं सह न सका. हालात देखकर मेरी आंखो से आंसू छलक पड़े, लिहाजा पहले तो कीचड़ से सने उसके कपड़े उतारे और शरीर से निकल रही दूर्गंध को दूर करने के लिए नहलाया-धुलाया, नये वस्त्र पहनायें, जूस और दूध पिलाया फिर अनवरत उसका इलाज करा रहा हूं.
सोशल मीडिया पर तस्वीर डालने के बाद कई लोगों ने भी उसे मदद करने का भरोसा दिया है. उन मानव रक्षकों मे एक नाम एसडीपीओ प्रभात भूषण श्रीवास्तव और डॉ मेराज हुसैन का भी आता है, जिनके द्वारा उसके इलाज में होने वाली खर्च में ये लोग भी भागीदार हैं. अस्पताल प्रबंधन से लेकर जिला प्रशासनिक महकमा भी इस लाचार को अब मदद करने को तैयार बैठा है.

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