करीब एक घंटे तक समाहरणालय में नहीं जा सके अधिकारी और कर्मचारी
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किसानों ने कलेक्ट्रेट पथ को घेरा, प्रदर्शन
करीब एक घंटे तक समाहरणालय में नहीं जा सके अधिकारी और कर्मचारी जहानाबाद : मंगलवार की शाम पांच बजे से अनशन पर बैठे किसानों ने मंगलवार को सुबह से ही कलेक्ट्रेट के समीप मुख्य रास्ते को घेर कर विरोध प्रदर्शन किया. अनशनकारियों के समर्थन में बड़ी संख्या में धरनार्थी किसान इस आंदोलन में शामिल थे. […]
जहानाबाद : मंगलवार की शाम पांच बजे से अनशन पर बैठे किसानों ने मंगलवार को सुबह से ही कलेक्ट्रेट के समीप मुख्य रास्ते को घेर कर विरोध प्रदर्शन किया. अनशनकारियों के समर्थन में बड़ी संख्या में धरनार्थी किसान इस आंदोलन में शामिल थे. महिलाएं भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही थीं. आठ सूत्री मांगों को लेकर सोमवार को दिये गये धरने के बाद प्रशासन के किसी भी अधिकारी के द्वारा ज्ञापन नहीं लेने के विरोध में 16 किसानों ने बेमियादी अनशन शुरू किया था.
उनके समर्थन में कई किसान धरने पर बैठे थे. मंगलवार की सुबह से ही अनशनकारी और धरनार्थी किसान समाहरणालय के मेन गेट से 50 गज उत्तर विकास भवन के पास सड़क पर बैठ कर घेरा बंदी किये थे. कार्यालय का समय शुरू होते ही पूर्वाह्न करीब 10 बजे जब कर्मचारी और अधिकारियों ने समाहरणालय में जाना चाहा, तो अनशनकारियों ने उन्हें रोक दिया.
किसी को भी कलेक्ट्रेट परिसर में जाने नहीं दिया गया. सूचना पाकर अनुमंडल पदाधिकारी नवल किशोर चौधरी धरना स्थल पर आये और अनशनकारियों से वार्ता की. ज्ञापन लेने और डीएम से वार्ता कराने के आश्वासन पर किसानों ने रास्ता छोड़ा. किसानों को उनकी उपज का लाभकरी मूल्य देने, कृषि नीति निर्धारण में किसानों सहभागिता अनिवार्य करने, हरियाणा, पंजाब और आंध्रप्रदेश की तरह बिहार के किसानों को कृषि कार्य हेतु मुफ्त बिजली देने, किसानों के सभी कर्ज माफ करने,
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें शत-प्रतिशत लागू करने, समान शिक्षा नीति लागू करने, सिंचाई का उचित प्रबंध करने और पंतित एवं सेंधवा बियर के निर्माण में अनियमितता को सुधारने की मांग को लेकर सोमवार को किसानों ने मजदूर किसान विकास संगठन के बैनर तले प्रदर्शन निकाला था और कारगिल चौक के समीप धरना दिया था.
शाम पांच बजे तक धरनार्थियों से किसी भी अधिकारी के द्वारा ज्ञापन नहीं लेने से क्षुब्ध होकर 16 किसान अनशन पर बैठ गये थे. इस आंदोलन में उमाशंकर सिंह ,श्यामबिहारी सिंह, तपेश्वर यादव, अनिल कुमार सिंह, जर्मन सिंह यादव समेत कई किसान और महिलाएं आंदोलन में शामिल थीं.
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