शाहपुर निवासी किसान सुखदेव साह ने बताया कि प्राकृतिक आपदा की वजह से एक -एक करके सारी फसल बर्बाद हो गयी. हमने बड़ी मेहनत से लगभग एक से दो लाख रुपया खेती में खर्च किया था और प्रतिदिन अपने खेतों पर चार से पांच घंटा मेहनत किया करते थे. इस उम्मीद के साथ अपने खेतों में फसल लगायी थी कि फसल कटने के बाद जो आमदनी होगी उससे बेहतर तरीके से अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे और बाल-बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देंगे.
लेकिन फसल के बरबाद हो जाने पर काफी कम आमदनी हुई और लगायी गयी पूंजी भी बेकार चली गयी. उन्होंने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि 40 से 50 हजार रुपया दो प्रतिशत ब्याज की दर से कर्ज के तौर पर लिया था. उनकी मानें तो अब कर्ज चुकाना मुश्किल हो रहा है. लेकिन खेती हमारा मुख्य धंधा है और अभी से ही खरीफ फसल की तैयारी में जुट जायेंगे. वहीं किसान विनोद साव की मानें तो बारिश, ओलावृष्टि आदि की वजह से लगभग सारी फसल बरबाद हो गयी है.
मैंने चालीस से पचास हजार रुपया खेती के नाम पर खर्च किया था और प्रतिदिन अपने खेतों में छ: से आठ घंटा मेहनत करता था. फसल कटाई के बाद होने वाली आमदनी से अपने बेटी की शादी करने और घर-परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से करना चाहता था. लेकिन फसल बरबाद होने से मैं बुरी तरह टूट चुका हूं और सिवाय घाटा के मुङो कुछ भी नहीं मिला. खेती के नाम पर एक लाख रुपया तीन प्रतिशत ब्याज पर लिया था. अब मैं फिर से धान के फसल की बुआई के लिए तैयारी शुरू कर दूंगा. खेती हमारे भोजन और जीवन का आधार है इसलिए उसे नहीं छोड़ सकते हैं.