जमुई : पर्यावरण व खनन विभाग के नये नियमों के खिलाफ चलने वाले ईंट-भट्ठा संचालकों पर कार्रवाई की जायेगी. वायु प्रदूषण रोकने के लिए सभी ईंट-भट्ठा संचालक को स्वच्छता प्रमाण पत्र देना होगा. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी ईंट-भट्ठा संचालकों को स्वच्छता तकनीक अपनाने का निर्देश दिया है.
इसके लिए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने कहा है कि आबादी वाले क्षेत्र में किसी भी हाल में प्रदूषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डिस्को भट्टा संचालक नियम को ताक पर रखकर आबादी वाले क्षेत्र में भट्ठा संचालन करते हैं तो रहे हैं तो उनके उपर कार्रवाई किया जायेगा.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अनुसार शहरी और ग्रामीण इलाके के आबादी वाले क्षेत्र से पांच किलोमीटर की दूरी पर ही ईंट भट्ठा लगाया जा सकता है. इसके लिए भट्टा संचालक के पास अनुमति को लेकर सभी जरूरी कागजात भी होना जरूरी है.
जिस में स्वयं की जमीन या जमीन का मालिकाना हक उत्खनन पट्टे का विधिवत आवेदन का प्रस्ताव तथा स्वच्छता प्रमाण पत्र के कागजात रहना जरूरी है.
मामला हो सकता है दर्ज : इन नियमों का पालन नहीं करने वालों पर एनजीटी तथा खनन विभाग भट्ठा संचालकों पर मामला दर्ज कराएगी. तथा उनपर सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.
क्या है जिग-जैग भट्ठा : जिग-जैग भट्ठा मौजूदा दौर में चल रहे भट्ठा के बिल्कुल विपरीत होगा, जिसमें भट्ठा का आकार, ईंट पकाने की कैपेसिटी व चिमनी सब कुछ बदल जाएगा. भट्ठा में ईंट तैयार करने के लिए ईंधन के रूप में लगने वाले कोयला तक रखने के लिए भी नई आकृति तैयार की जा रही है, जिसमें भट्ठा के ऊपर धुआं छोड़ऩे वाली चिमनी हवा के रूप में निकलने वाले धुआं को जिग-जैग आकार से बाहर छोड़ेगी जोकि पहले बिल्कुल सीधा निकल रहा था. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक भट्ठा मालिक को हरहाल में नयी तकनीक से इसका संचालन करना पड़ेगा.
सर्दी में कोहरे व धुएं से बढ़ जाती है परेशानी : विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी के दिनों में सुबह-शाम पड़ने वाला घना कोहरा में भट्ठा से निकलने वाला धुआं आसपास के इलाका के लोगों की परेशानी बढ़ा देता है. इससे निकलने वाला धुआं कोहरे के साथ मिलकर इसे जल्द थमने नहीं देता है. ऐसी स्थिति में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ने की आशंका हो जाती है. जहरीला धुआं की वजह से कई भयानक बीमारियां भी लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है. सरकार व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की नई नीति के मुताबिक पुराने चल रहे भट्ठों को गोल आकार की जगह चपटे आकार में ढाल दिया जाएगा और जिग-जैग तकनीक से बने नये भट्ठा से निकलने वाला धुआं भी सफेद रंग का होगा. इसमें प्रदूषण की मात्रा भी नाम मात्र होगी.
चुनौती से कम नहीं नियम
ईंट-भट्ठा मालिकों के लिए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी किया गया नया आदेश किसी चुनौती से कम नहीं हैं. क्योंकि आदेशों के मुताबिक भट्ठा मालिकों को चालू वित्तीय वर्ष में बोर्ड के पैरामीटर के सांचे में ढालकर भट्ठे को नई तकनीक के हिसाब से चलाना होगा. ताकि भट्ठे के साथ लगते इलाकों में वातावरण प्रदूषित न हो और क्षेत्रवासियों को भट्ठे से उठने वाले जहरीला धुआं के कारण होने वाली घातक बीमारियों से बचाया जा सके. लेकिन भट्ठा को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मानकों में ढालने के लिए प्रत्येक भट्ठा पर करीब 35 से 40 लाख तक का खर्च आने का अनुमान लगाया जा रहा है. जोकि भट्ठा कारोबारियों के लिए शायद जले पर नमक छिड़कने जैसा साबित हो सकता है. अब ऐसे हालातों को देखते हुए यहां यह अंदाजा लगाना गलत नहीं होगा कि दावों के मुताबिक भट्ठा मालिकों को इतनी बड़ी राशि खर्च करना किसी आफत से कम नहीं लग रहा होगा.