थावे. पूर्वोत्तर रेलवे के थावे जंक्शन पर चौथा ट्रैक बनाने के साथ वाशिंग पिट बनाने का प्रोजेक्ट आठ माह पूर्व रेलवे की टीम ने डीआरएम कार्यालय को सौंप दिया. मंजूरी के अभाव में न तो ट्रैक बन सके और ना ही चौथा ट्रैक बनाने का काम आगे बढ़ पा रहा है. नतीजा है कि जिले के 32 लाख से अधिक लोगों को बड़े शहरों के लिए ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही.
सांसद ने रखी थी स्टेशन को विकसित करने की मांग
बता दें कि जदयू सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन ने 18 मार्च 2021 को लोकसभा में कहा कि गोपालगंज के थावे जंक्शन को आदर्श स्टेशन योजना के तहत जोड़कर इसको विकसित करने की मांग को रखा था. यहां पर वाशिंग पिट की स्थापना करने की मांग की. सांसद के पहल पर रेलवे ने टीआइ अनंत कुमार, डीसीआइ विशाल कुमार, पीडब्लूआइ एसएस विनय मणि त्रिपाठी की टीम ने स्टेशन पर संयुक्त रूप से जांच करने के बाद चौथा ट्रैक बनाने व वाशिंग पिट के लिए पर्याप्त जमीन पाते हुए बजाप्ता प्रोजेक्ट बनाते हुए डीआरएम कार्यालय को मंजूरी के लिए भेज दिया. अब तक रेलवे की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है. जानकार बताते हैं कि स्टेशन पर चौथा ट्रैक बनाये जाने व वाशिंग पिट की स्थापना होने से थावे से भी देश के महानगरों के लिए कई ट्रेनों का परिचालन आसान हो सकता है.
वाशिंग पिट बना, तो हमसफर जैसी ट्रेनों का हो सकेगा परिचालन
थावे में वाशिंग पिट बना, तो दो ट्रेनें ऐसी हैं, जिन्हें थावे से चलाया जा सकता है. गोरखपुर से शाम को आनंद बिहार जाने वाली हमसफर को विस्तार कर कप्तानगंज, पड़रौना के रास्ते थावे तक किया जा सकता है. वहीं काशी एक्सप्रेस, जो गोरखपुर से मुंबई एलटीटी जाती है, उसे विस्तारित कर थावे किया जा सकता है. उसी प्रकार छपरा से अयोध्या होकर फरूखाबाद जाने व छपरा से बनारस होकर अहमदाबाद जाने वाली ट्रेनों को थावे तक विस्तारित किया जा सकता है.
नौ सांसदों ने रेल मंत्रालय को सौंपा था मांग पत्र सांसद
डॉ आलोक कुमार सुमन की पहल पर गोरखपुर के सांसद रवि किशन शुक्ला, कुशीनगर के सांसद विजय कुमार दुबे, महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल, सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी समेत नौ सांसद ने संयुक्त मांग पत्र 2022 में रेलमंत्री को सौंपते हुए कहा था कि थावे मंदिर बिहार का प्रमुख शक्तिपीठ है. थावे से लाखों लोगों की आस्था है. कई प्रदेश के भक्त आते हैं. ऐसे में थावे रेलवे स्टेशन को माॅडल बनाया जाये और यहां से देश के विभिन्न शहरों के लिए ट्रेन का परिचालन शुरू कराया जाये. इस रूट में राजधानी व बंदे भारत ट्रेन की सुविधा नहीं है. इस रूट पर ये ट्रेन भी दिल्ली के लिए चलाये जाने की मांग रखी गयी थी.
ट्रेन के अभाव में 250 बसें जाती हैं दिल्ली
थावे से दिल्ली के लिए ट्रेनाें का परिचालन नहीं होने के कारण 250 बसें रोज दिल्ली, लखनऊ,पटना, मुजफ्फरपुर के लिए चल रही हैं. यात्रियों को दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में जहां एसी में 12 से 15 सौ का किराया लगता है, तो बस में दो हजार का किराया देना पड़ता है. इसके बाद भी भेड़-बकरे की तरह यात्रा करने की मजबूरी होती है. ट्रेनों के अभाव में बस वालों की मनमानी भी कम नहीं है.
पटना व गोरखपुर के लिए एक दर्जन डेमू ट्रेनों की जरूरत
पटना व गोरखपुर से ट्रेनों की कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण जिले में कारोबार पर भी कम प्रभाव नहीं पड़ रहा. अगर पटना व गोरखपुर के लिए एक दर्जन भी डेमू ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाये, तो सुदूर ग्रामीण इलाके में कारोबार भी रफ्तार पकड़ लेगा. यात्रियों के आने-जाने से संबंधित रेलवे स्टेशनों के पास की दुकानों के मालिकों को इसका सीधा लाभ मिलेगा. वहीं सामान को लाना भी आसान हो जायेगा. लोग आसानी से पटना व गोरखपुर का मार्केट कर लेंगे.
थावे के किसी भी प्रोजेक्ट की जानकारी नहीं : पीआरओ
बनारस रेल मंडल के पीआरओ अशोक कुमार से संपर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया कि थावे में कोई प्राेजेक्ट पेंडिंग है, इसकी कोई जानकारी नहीं है. पता करने के बाद ही कुछ बता पायेंगे.
लोकसभा में फिर से उठेगा मुद्दा : सांसद
थावे से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो, इसके लिए मैं लगातार कोशिश करता आया हूं. वाशिंग पिट व ट्रैक के लिए मंजूरी मिलने में हो रहे विलंब के मामले को भी सदन में रखेंगे. आम यात्रियों को बड़े शहरों में जाने के लिए ट्रेनों की जरूरत है.
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