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साइकिल और पोशाक योजना की राशि नहीं दे रहे जिले के बैंक

नोटबंदी से भी भयावह स्थिति से ग्राहक और बैंक जूझ रहे हैं. गोपालगंज को प्रतिमाह 1900 करोड़ की जरूरत है. इसके एवज में 113 दिनों के बाद आरबीआइ ने 165 करोड़ की राशि दी थी. गोपालगंज : आरबीआइ से नोटों की खेप इस सप्ताह भी नहीं मिली है. बैंकों को पूरे सप्ताह नोट संकट से […]

नोटबंदी से भी भयावह स्थिति से ग्राहक और बैंक जूझ रहे हैं. गोपालगंज को प्रतिमाह 1900 करोड़ की जरूरत है. इसके एवज में 113 दिनों के बाद आरबीआइ ने 165 करोड़ की राशि दी थी.
गोपालगंज : आरबीआइ से नोटों की खेप इस सप्ताह भी नहीं मिली है. बैंकों को पूरे सप्ताह नोट संकट से जूझना पड़ रहा है. छात्रों को पोशाक, साइकिल और छात्रवृत्ति की राशि तक बैंक भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. भुगतान नहीं होने से हेडमास्टर से लेकर छात्र तक परेशान हैं. छात्रों में बैंकों के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है. बैंकों की अपनी मजबूरी है. उनका खजाना खाली है. अपने ग्राहकों को किसी तरह खुश करने में बैंक अधिकारी लगे हुए हैं. लोगों की समस्या के सामने बैंककर्मी भी लाचार दिख रहे हैं.
ु सबसे गंभीर स्थिति ग्रामीण बैंक की है. सुदूर ग्रामीण इलाके में 64 शाखा ग्रामीण बैंक की है. बैंक में सुबह से शाम तक कैश जमा होने का इंतजार ग्राहक कर रहे हैं. जमा होनेवाली राशि से ग्राहकों को छोटा भुगतान हो पा रहा है. नोटबंदी के दौरान सेंट्रल बैंक और स्टेट बैंक में कैश की कमी नहीं थी.
इनके पास चेस्ट था जिसका फायदा दोनों बैंकों ने उठाया, लेकिन अब आरबीआइ से कैश नहीं मिलने के कारण सबसे अधिक स्टेट बैंक और सेंट्रल बैंक को ही कैश के संकट है. 62 हजार छात्रों को साइकिल, 4.95 लाख छात्रों को पोशाक की राशि का भुगतान बैंकों से होना है. बैंकों को विभाग की तरफ से एडवाइस और सूची भेजी जा चुकी है. कैश के अभाव में बैंक उनको भुगतान नहीं दे पा रहा है.
वेतन और पेंशन को लेकर बढ़ी चिंता
पिछले दो माह से बैंकों के सामने कैश की किल्लत है. पिछले महीने कई कर्मियों को वेतन देने के लिए भी कैश नहीं था. स्टेट बैंक के पास ट्रेजरी एकाउंट है.
सबसे अधिक सरकारी कर्मियों का वेतन स्टेट बैंक से मिलना है. पीएनबी, सेंट्रल बैंक, ग्रामीण बैंक आदि में भी कर्मियों का वेतन का भुगतान होता है. गुरुवार से बैंक में वेतन के लिए कर्मियों की भीड़ होगी. ऐसे में आरबीआइ से कैश नहीं मिलने के कारण बैंक अधिकारियों की होश उड़े हुए हैं, यानी नोटबंदी से भी भयावह स्थिति है. नोटबंदी के दौरान ग्राहकों को प्रतिबंध किया गया था कि एटीएम से दो हजार और बैंक खाता से 4500 रुपये की निकासी हो रही थी. अब पाबंदी हटाये जाने के बाद नोट की संकट ने कर्मियों की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
एटीएम से नहीं निकल रहा कैश
कैश संकट के कारण शहर के अधिकतर एटीएम से कैश नहीं निकल रहा. शहर के 29 में से महज तीन एटीएम से पैसा निकल रहा है जहां ग्राहकों की भारी भीड़ देखी जा रही है. दो घंटे के भीतर कैश समाप्त हो जा रहा है.
इसी तरह जिले की 179 एटीएम में से महज 13 एटीएम ही कैश दे पा रही हैं, जिससे ग्राहकों की जरूरत पूरी हो पा रही है.
बैंकों की मनमानी भी भारी
शिक्षा विभाग ने साइकिल योजना की राशि बैंकों को भेज दी है. ऐसे में बैंक आरटीजीएस करने में नखरा कर रहे हैं. स्टेट बैंक मजिरवाकला में गांधी स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोरे के डेढ़ हजार छात्र तथा मिश्र बतरहां हाइस्कूल के एक हजार से अधिक छात्रों को साइकिल और पोशाक की राशि के लिए कैश आवंटित हुआ. दोनों स्कूलों का खाता स्टेट बैंक में है.
महज दो सौ छात्रों का खाता इस बैंक में है. अन्य छात्रों का खाता ग्रामीण बैंक, पीएनबी, केनरा बैंक आदि में है. अब स्टेट बैंक के मैनेजर आरटीजीएस से उन छात्रों के खाते में राशि नहीं भेज रहे हैं. मैनेजर का कहना है कि छात्र चेक अपने बैंक खाता में जमा करें, जबकि नियमानुसार हेडमास्टर एकाउंट नंबर और एडवाइस लेकर बैंक को दे चुके हैं. यही स्थिति सासामुसा स्टेट बैंक की है. यहां इब्राहिम मेमोरियल हाइस्कूल के छात्रों के साथ यही किया गया है. इस मामले को गंभीरता से लेकर शिक्षा विभाग के लेखा एवं योजना के डीपीओ मनोज कुमार ने डीएम को पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
क्या कहते हैं अधिकारी
आरबीआइ से कैश की डिमांड की गयी है. कैश मिलते ही स्थिति नियंत्रण में आ जायेगा. कैश के अभाव में बैंक कर्मी भी लाचार है. ग्राहकों की स्थिति देख सचमुच में कलेजा फट जा रहा है. जैसे-तैसे मैनेज कर बैंक को चलाया जा रहा है. ग्राहकों का सहयोग भी बैंक को काफी मिल रहा है. स्टेट बैंक के मामले में गंभीरता से जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
राजन कुमार, प्रबंधक लीड बैंक, गोपालगंज

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