गोपालगंज : सुबह के 9 बजे हैं. सड़कों पर गाड़ियों का आवागमन बंद है. गांव से शहर से, हर तरफ से लोगों की टोली सड़कों की ओर आ रही है. आनेवालों में बुजुर्ग, महिलाएं हैं व बच्चे भी हैं.
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सब लोगों ने भरा हुंकार नशामुक्त हो अपना बिहार
गोपालगंज : सुबह के 9 बजे हैं. सड़कों पर गाड़ियों का आवागमन बंद है. गांव से शहर से, हर तरफ से लोगों की टोली सड़कों की ओर आ रही है. आनेवालों में बुजुर्ग, महिलाएं हैं व बच्चे भी हैं. कहीं ढोल नगाड़ा बज रहा है, तो कहीं सिंघा की आवाज गूंज रही है. बड़े-बड़े बैनर, […]
कहीं ढोल नगाड़ा बज रहा है, तो कहीं सिंघा की आवाज गूंज रही है. बड़े-बड़े बैनर, तख्तियां लिये लोगों का हुजूम सड़कों पर बढ़ता जा रहा है. 11 बजते-बजते ऐसी शृंखला बनी, मानों जिसका कोई अंत न हो. न जाति का बंधन और न पार्टी का. हर दल, हर धर्म के लोग सड़कों पर ही जमा थे और गूंज रहा था एक ही हुंकार- नशामुक्त हो मेरा बिहार. शराब छोड़ो, समाज से नाता जोड़ो. यह नजारा था शनिवार को मानव शृंखला में जो मद्य निषेध अभियान की जागरूकता का अलख जगा रहा था.
उत्तरप्रदेश की सीमा बथनाकुटी से लेकर नारायणी के तट डुमरिया घाट तक मानव शृंखला की बेमिसाल कतार शराब के खिलाफ डंके की चोट पर अपनी खिलाफी जता रही थी. जिले में एनएच 28, एसएच 85, 47, 101 सहित आरइओ पथ पर कुल 293 किमी लंबी मानव शृंखला बनी. इस मानव शृंखला की खासियत यह रही कि कई जगह कतार को डबल करना पड़ा.
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