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बुधवार रहा सीजन का सबसे गरम दिन, पारा 43 के पार

गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पांच डिग्री बढ़ा पारा, देर रात ऊमस ने शहरवासियों को किया परेशान गोपालगंज : तेज धूप और गरम हवाओं ने बुधवार को कहर बरपाया. गरम हवा से इनसान से लेकर जीव-जंतु तक परेशान हैं. प्यासे पक्षी तालाब वगैरह सूख जाने के कारण पानी के लिए तड़प रहे हैं. […]

गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पांच डिग्री बढ़ा पारा, देर रात ऊमस ने शहरवासियों को किया परेशान

गोपालगंज : तेज धूप और गरम हवाओं ने बुधवार को कहर बरपाया. गरम हवा से इनसान से लेकर जीव-जंतु तक परेशान हैं. प्यासे पक्षी तालाब वगैरह सूख जाने के कारण पानी के लिए तड़प रहे हैं. बुधवार को जिले का अधिकतम तापमान 43.8 तथा न्यूनतम तापमान 28.4 डिग्री सेल्सियस रहा. दिन भर सड़क पर सन्नाटा पसरा रहा.
स्थिति यह थी कि सड़क से आग निकल रही थी. सबसे अधिक परेशानी दोपहिया चलानेवालों को हुई. स्कूल की छुट्टी के बाद दोपहर में बच्चे झुलसते हुए घर पहुंचे. मौसम वैज्ञानिक एनएन पांडेय की मानें, तो गरमी का कहर अभी अगले रविवार तक जारी रहेगा. छिटफुट बादलों की आवाजाही बनी रहेगी. पश्चिमी विक्षोभ आने तक पछुआ हवा से राहत मिलना संभव नहीं है. न्यूनतम तापमान में वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है.
एसी-कूलर की चाल तेज : बुधवार को सबसे तेज गरम दिन होने की वहज से लोगों ने एसी और कूलर का सहारा लिया. लोगों का कहना है कि सामान्यत: मई में इतनी गरमी का प्रकोप रहता है, लेकिन इस बार मौसम के बदलते मिजाज की वजह से उन्हें अभी से ही एसी-कूलर चलाना पड़ रहा है.
अस्पताल में तड़प रहे मरीज : गरमी बढ़ते ही मरीजों की परेशानी भी बढ़ गयी है. खास कर सदर अस्पताल में एसी और पंखे खराब रहने से मरीजों को ऊमस भरी गरमी में तड़पना पड़ रहा है. अस्पताल के मेडिसिन इमरजेंसी में कई पंखे खराब हैं. इमरजेंसी में भरती होनेवाले मरीजों को हाथ के बने पंखे से काम चलाना पड़ रहा है.
क्या है डॉक्टर की सलाह : तेजी से बढ़ी रही गरमी का असर बच्चों पर ज्यादा होता है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरपी सिंह बताते हैं कि गरमी में बच्चों को वायरल बुखार आने का डर रहता है. साथ ही ज्यादा छोटे बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत हो सकती है. इसलिए बच्चों को गरमी से बचाने का उपाय करें. उन्हें ठंडे वातावरण में रखें.
पानी के लिए प्रतिदिन "15 लाख खर्च
संकट. गोपालगंज में शुद्ध पेयजल की कमी ने खड़ा कर दिया बड़ा रोजगार
बढ़ती तपिश और लगातार शुद्ध पेयजल की कमी ने मिनरल वाटर का बड़ा रोजगार खड़ा कर दिया है. जिले में पानी तैयार
करनेवाले डेढ़ सौ से अधिक कंपनियां खड़ी हो गयी हैं, वहीं प्रतिदिन लोग पानी पर 15 लाख से अधिक का खर्च कर रहे हैं.
गोपालगंज :दिनों दिन बढ़ती तपिश और जल स्तर में हो रही गिरावट से प्यास बुझाने के लिए अब मिनरल वाटर का सहारा बन गया है. जिले में प्रतिदिन पानी के 15 लाख रुपये का कारोबार हो रहा है. पारा चढ़ने के साथ जल स्तर में 4-5 फुट की गिरावट आयी है. इसके कारण शुद्ध पेयजल लोगों को मयस्सर नहीं हो रहा है. हालात को देखते हुए व्यवसायियों ने मिनरल का धंधा खड़ा कर लिया और देखते-ही-देखते यह एक बड़ा बाजार बन गया है. नतीजतन अब गांव में भी बोतल बंद पानी पहुंचने लगा है.
पानी के धंधे ने ढाई हजार को दिया रोजगार : लोगों की जरूरतों के साथ जब पानी की मांग बढ़ी, तो यह रोजगार बन गया. जिले में लगभग दो सौ पानी की कंपनियां हैं, जिनमें ढाई हजार से अधिक लोग कार्यरत हैं. यदि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाये, तो शायद यह धंधा जिले में और विकसित हो.

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