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चाय दुकान ने रामसेवक को बना दिया ब्रांड

अपने कारोबार में 26 बेरोजगारों को लगाया गोपालगंज : स्नातक की पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए दिल्ली की सड़कों पर एक साल तक भटका. कहीं भी मन के लायक काम नहीं मिला. सपना था कॉरपोरेट कंपनी में काम करने का. कुछ दिन बाद घर लौट आया. उसने एक हजार रुपये से चाय की दुकान […]

अपने कारोबार में 26 बेरोजगारों को लगाया

गोपालगंज : स्नातक की पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए दिल्ली की सड़कों पर एक साल तक भटका. कहीं भी मन के लायक काम नहीं मिला. सपना था कॉरपोरेट कंपनी में काम करने का. कुछ दिन बाद घर लौट आया. उसने एक हजार रुपये से चाय की दुकान खोली. कड़ी मेहनत और लगन ने मुकाम दिलाया. आज 26 युवाओं को रोजगार देने के साथ मीरगंज का ब्रांड बन गया है. कर्मचारियों को पांच हजार से 15 हजार रुपये तक का वेतन देता है.
हम बात कर रहे हैं मीरगंज थाना क्षेत्र के माधवा लाल मठिया गांव के राजदेव सिंह के पुत्र रामसेवक की. पिता ने डीएवी सीवान कॉलेज से स्नातक कराया. उसने स्नातक के साथ कंप्यूटर की शिक्षा प्राप्त की. 2007 में पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए दिल्ली चला गया. दिल्ली में काम की तलाश में एक साल गुजर गया. बड़ी मुश्किल से लक्ष्मी नगर की कपड़ा कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी मिली. 15 हजार रुपये वेतन था.
काम में मन नहीं लगा. जनवरी, 2009 में घर लौट गया. पिता से एक हजार रुपये लेकर मीरगंज के हथुआ मोड़ पर चाय बेचने लगा. ईमानदारी की बदौलत कुछ ही दिनों में उसकी चाय मशहूर हो गयी.
बना मिठाई दुकान का मालिक : रामसेवक ने 2011 में मिठाई की दुकान खोली. शुद्धता और बेहतर क्वालिटी के कारण इस दुकान की प्रसिद्धि हुई. आज दुकान में 10 लोग कार्यरत हैं. इसके अलावा 16 युवाओं को दूध के कारोबार में लगाया है. प्रतिदिन जहां चाय में 5-6 क्विंटल दूध की खपत होती है, वहीं मिठाई में 12-14 क्विंटल की खपत होती है. प्रतिदिन सभी खर्च के बाद तीन से चार हजार रुपये की शुद्ध आमदनी कर लेता है.

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