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इधर नकली नोट के तार आतंकी मॉड्यूल से जुड़े

इधर नकली नोट के तार आतंकी मॉड्यूल से जुड़े- राज्य के कई जिलों में पिछले कुछ महीनों में बरामद हुए फेक करेंसी के लिंक आतंकी संगठनों सेछह महीनों में राज्य में पकड़े गये करीब 80 लाख के जाली नोट छानबीन में जुटी एनआइए की टीम भी संवाददाता, पटनाराज्य में पिछले कुछ महीनों से नकली नोटों […]

इधर नकली नोट के तार आतंकी मॉड्यूल से जुड़े- राज्य के कई जिलों में पिछले कुछ महीनों में बरामद हुए फेक करेंसी के लिंक आतंकी संगठनों सेछह महीनों में राज्य में पकड़े गये करीब 80 लाख के जाली नोट छानबीन में जुटी एनआइए की टीम भी संवाददाता, पटनाराज्य में पिछले कुछ महीनों से नकली नोटों की कई बड़ी खेप मिल रही है. इन नोटों के साथ इसे लाने वाले कई ‘कुरियर’ भी पकड़े गये हैं. इनसे कई स्तरों पर हुई पूछताछ और खूफिया एजेंसियों की छानबीन में यह बात सामने आ रही है कि इनके ताल्लुक राज्य में पिछले कुछ महीनों के दौरान सक्रिय या तैयार किये गये ‘आतंकी मॉड्यूल या स्लीपर सेल’ से है. सीमा पार पाकिस्तान या बांग्लादेश के रास्ते आतंकी संगठन खासकर इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) नोटों की यह खेप राज्य के कई जिलों में मौजूद उनके स्लीपर सेल के पास पहुंचा रहा है. लेकिन, अब तक राज्य से अभी तक सिर्फ उनके कुरियर ही पकड़े गये हैं. राज्य में मौजूद उनके सरगना को पुलिस दबोच नहीं पायी है. हालांकि, इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस, इओयू के अलावा नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम भी कर रही है.बिहार में जांच शुरू की एनआइए नेरविवार को बेतिया और गया से करीब नौ लाख रुपये के जो नकली नोट बरामद हुए हैं, इनमें शामिल किसी बड़े सरगना को नहीं दबोचा जा सका है. इस रैकेट में शामिल कुरियर ही सिर्फ पकड़ में आये हैं. इनसे पूछताछ में कुछ अहम बातों का खुलासा हुआ है, लेकिन इनका चैनल बेहद लंबा होने के कारण मुख्य सरगना तक जांच एजेंसियों के हाथ नहीं पहुंच पाये हैं. अब तक हुई जांच में यह साफ हो गया है कि इस रैकेट के बड़े सरगना सीमा पार बैठे हैं. यहां इनके कुछ खास एजेंट हैं, जो उनके इशारे पर पूरे धंधे को ऑपरेट करते हैं. सिर्फ बिहार में पिछले छह महीने के दौरान करीब 80 लाख के जाली नोट पकड़े गये हैं. यह जांच एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता है.पश्चिम चंपारण इसका मुख्य अड्डाराज्य में नकली नोटों की तस्करी का मुख्य अड्डा पश्चिम चंपारण है. यहां बंगलादेश और पाकिस्तान दोनों जगहों से नकली नोट लाकर अलग-अलग जिलों में खपाये जाते हैं. यहां से देश के दूसरे हिस्से में भी नकली नोट की सप्लाइ के सबूत मिले हैं. पश्चिम चंपारण के अलावा सीतामढ़ी, मधुबनी, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया जिलों में इस तरह के नोटों को बाहर से लाकर रखने और फिर अलग-अलग प्वाइंट पर सप्लाइ करने का मुख्य अड्डा है. गया, सासाराम समेत अन्य स्थानों पर जो नकली नोट पकड़े गये हैं, वे इन स्थानों पर खपाने या बाजार में चलाने के उद्देश्य से लाये गये थे. ग्रामीण बाजार सबसे सॉफ्ट टारगेटइस तरह के नोटों को खपाने या बाजार में पहुंचाने का सबसे अच्छा माध्यम ग्रामीण इलाकों में मौजूद बाजार या ग्रामीण अंचलों में लगने वाले हाट, मेले या इस तरह के आयोजन हैं. इस कारण नकली नोटों से ठगी या इससे होने वाली क्षति का सबसे ज्यादा शिकार गरीब या ग्रामीण इलाकों के लोग ही हो रहे हैं. इस तरह के लोगों का बैंकों से पैसे का लेन-देन काफी कम होता है. इस कारण सबसे ज्यादा नकली नोट इनके पास ही पहुंचते हैं. यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है.

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