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नये सत्र से विश्वविद्यालयों में लागू होगा च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टमबिहार बोर्ड के तर्ज पर उच्च शिक्षा बोर्ड का होगा गठन240 प्रखंडों में दूरस्थ शिक्षा से होगी डिग्री की पढ़ाई, नये डिग्री कॉलेज भी खुलेंगेसात साल में ग्रेजुएशन की बाध्यता होगी खत्मसंवाददाता, पटना शिक्षा विभाग ने राज्य में उच्च शिक्षा को के रोडमैप का खाका […]

नये सत्र से विश्वविद्यालयों में लागू होगा च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टमबिहार बोर्ड के तर्ज पर उच्च शिक्षा बोर्ड का होगा गठन240 प्रखंडों में दूरस्थ शिक्षा से होगी डिग्री की पढ़ाई, नये डिग्री कॉलेज भी खुलेंगेसात साल में ग्रेजुएशन की बाध्यता होगी खत्मसंवाददाता, पटना शिक्षा विभाग ने राज्य में उच्च शिक्षा को के रोडमैप का खाका तैयार कर लिया है. सोमवार को शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी की अध्यक्षता में राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् (रूसा) की बैठक में विश्वविद्यालयों में नये सत्र से च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम के आधार पर पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया गया. नये सत्र से ही पटना वीमेंस कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई और 240 वैसे प्रखंड, जहां कोई डिग्री कॉलेज नहीं है, वहां डिस्टेंस एजुकेशन (दूरस्थ शिक्षा) सेंटर के माध्यम से पढ़ाई शुरू की जायेगी. पार्ट वन के बाद छात्र-छात्राओं को सात साल के अंदर ग्रेजुएशन पूरा करने की बाध्यता रहती थी, उसे भी खत्म करने पर सहमति बनी. इसके साथ-साथ विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2013 से 2016 तक खाली होनेवाले पदों की गणना कर रिक्तियां मुख्यमंत्री को भी जल्द भेजी जायेगी. बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने बताया कि बिहार बोर्ड की तर्ज पर उच्च शिक्षा बोर्ड बनाया जा रहा है. उच्च शिक्षा के लिए देश में यह पहला बोर्ड होगा. उन्होंने बताया कि पटना विवि के पटना वीमेंस कॉलेज में पीजी की पढ़ाई को हरी झंडी दे दी है. यह निर्णय पटना विवि के एक्ट के आधार पर निर्णय लिया गया है. अब कॉलेज को यह प्रस्ताव देना है कि वे किस-किन विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरू करेंगे. उन्होंने बताया कि राज्य के वैसे 240 प्रखंड जहां कोई डिग्री कॉलेज नहीं है, वहां डिस्टेंस एजुकेशन सेंटर के माध्यम से डिग्री की पढ़ाई शुरू की जायेगी. इसके बाद चरणवार डिग्री कॉलेज खोला जायेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग प्लस टू स्कूल को यूनिट बना सकता है. शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य में 16 लाख बच्चे इंटरमीडिएट पास करते हैं, लेकिन डिग्री कॉलेजों में नामांकन सिर्फ पांच लाख तक ही हो पाता है, इसलिए डिस्टेंस लर्निंग शुरू होगी. विवि में रजिस्ट्रार, कंट्रोलर समेत अन्य पदाधिकारियों की कार्यकाल के लिए समय सीमा तय की जायेगी. इसके अलावा विवि-कॉलेजों को नैक और फंडिंग के लिए रूसा की एक कमेटी भी बनायी जायेगी. सात साल में ग्रेजुएशन की बाध्यता होगी खत्मशिक्षा मंत्री ने कहा कि सात सालों में ग्रेजुएशन करने की भी बाध्यता खत्म किया जायेगा. किसी लड़की की पार्ट वन के बाद शादी हो जाती थी. घर परिवार, बाल बच्चे की वजह से उनकी पढ़ाई छूट जाती थी. ऐसे में वे सात साल निकल जाते थे और पार्ट वन के बावजूद उन्हें फिर से नामांकन लेना पड़ता था. अब सरकार तैयारी कर रही है कि समय सीमा खत्म तो हो ही, अगर पार्ट वन पास छात्र-छात्रा हो और कोर्स बदल भी जाता है तो वह भविष्य में अपना ग्रेजुएशन पूरा कर सकता है. बैठक में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डाॅ डीएस गंगवार, अपर सचिव के सेंथिल कुमार, रूसा के उपाध्यक्ष कामेश्वर झा, उच्च शिक्षा निदेशक खालिद मिर्जा, ओएसडी शिवेश रंजन, सरिता सिंह समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे. बॉक्सक्या है बेस्ट च्वाइस क्रेडिट सिस्टम इसमें छात्रों को विषयों के चयन की छूट होगी. कोई छात्र गणित (विज्ञान) के साथ अगर अर्थशास्त्र पढ़ना चाहे, तो पढ़ सकेगा. इसके अलावा अगर एक विश्वविद्यालय में इतिहास की पढ़ाई ज्यादा अच्छी होती है और किसी दूसरे विवि में राजनीति शास्त्र की, तो छात्र दोनों जगहों पर एडमिशन लेकर पढ़ाई कर सकें, इसके लिए भी तैयारी की जा रही है. 2013 से 16 तक की विवि शिक्षकों की मांगीं रिक्तियांराज्य के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के रिक्त पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली चल रही है. यह 2013 तक की रिक्तियां हैं. अब 2016 तक रिक्त होनेवाले पदों की गणना कर मुख्यमंत्री के पास जल्द रिक्तियां भेजी जायेंगी. इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया है. रिक्तियां आने के बाद इन पदों पर बहाली का निर्णय लिया जायेगा.

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