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निजी स्कूलों के अधिकतर वाहन खटारा

खतरे में रहती है जान देश के भविष्य के साथ निजी स्कूल के संचालक खेल रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में फैले निजी स्कूलों में चलनेवाले अधिकतर वाहन खटारा हो चुके हैं. खटारा वाहन कब धोखा देगा कहना मुश्किल है. यानी घर से स्कूल निकलनेवाले छात्रों की जान पर खतरा है. बच्चों की […]

खतरे में रहती है जान

देश के भविष्य के साथ निजी स्कूल के संचालक खेल रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में फैले निजी स्कूलों में चलनेवाले अधिकतर वाहन खटारा हो चुके हैं. खटारा वाहन कब धोखा देगा कहना मुश्किल है. यानी घर से स्कूल निकलनेवाले छात्रों की जान पर खतरा है. बच्चों की जान इन बसों में भगवान भरोसे है. इस पर शिकंजा कसने के लिए परिवहन विभाग को फुरसत नहीं है. पिछले पांच वर्षों में एक बार भी स्कूल बसों की जांच नहीं हो सकी है.
गोपालगंज : सड़कों पर खुलेआम स्कूल बसें मौत बन कर दौड़ रही हैं. स्कूल वाहन के नाम पर खटारा वाहनों से बच्चों को पहुंचाया जा रहा है. बलिवन सागर में स्कूल बस के पलटने के पीछे परिवहन विभाग की खामियां खुल कर सामने आ गयी हैं. स्कूल वाहनों की फिटनेस की जांच फाइलों में होती है.
नतीजा है कि हादसे को रोक पाना मुश्किल हो रहा है. बलिवन की घटना के बाद भी परिवहन विभाग की नींद खुलनेवाली नहीं है. खटारा वाहन न सिर्फ ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में चल रहे हैं, बल्कि शहर की सड़कों पर भी दौड़ रही है. इन पर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही स्कूल संचालक ध्यान दे रहे हैं. स्कूल संचालक मोटी कमाई के लोभ में छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे स्कूल वाहन : स्कूलों में चलनेवाले छोटे वाहनों का नियमानुसार कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन आवश्यक है. लेकिन, बिना रजिस्ट्रेशन के ही स्कूलों में प्राइवेट वाहन चल रहे हैं. किसी प्रकार की घटना दुर्घटना होने पर तत्काल मामले को मैनेज कर लिया जाता है.
वाहनों की खिड़कियों में नहीं होता शीशा : शायद ही किसी स्कूल बस की खिड़ियों में शीश लगा मिलेगा. इस ठंड में छात्र वाहन में बैठ कर कांपते हुए स्कूल पहुंचते हैं. स्कूल प्रशासन भी बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहा है. अभिभावक इन बातों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, लेकिन इसका असर गंभीर होता है.

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