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प्रदेश में रबी की फसल पर ग्रहण, भागलपुर, सीवान और सारण में रबी सिंचाई के लिए नहरों से नहीं मिलेगा पानी

प्रदेश में रबी की फसल पर ग्रहण, भागलपुर, सीवान और सारण में रबी सिंचाई के लिए नहरों से नहीं मिलेगा पानी पुनर्स्थापन के नाम पर अपर किऊल जलाशय और पश्चिमी गंडक नहर बंद पश्चिमी गंडक नहर की 54 वितरणियों में रबी सिंचाई के लिए नहीं मिलेगा एक बूंद पानी दो जनवरी से 25 अप्रैल तक […]

प्रदेश में रबी की फसल पर ग्रहण, भागलपुर, सीवान और सारण में रबी सिंचाई के लिए नहरों से नहीं मिलेगा पानी पुनर्स्थापन के नाम पर अपर किऊल जलाशय और पश्चिमी गंडक नहर बंद पश्चिमी गंडक नहर की 54 वितरणियों में रबी सिंचाई के लिए नहीं मिलेगा एक बूंद पानी दो जनवरी से 25 अप्रैल तक होनी है रबी सिंचाई, किसान प्राइवेट पंपों की बुकिंग कराने में जुटे सिंचाई के लिए प्रति घंटे 75 से 100 रुपये की दर से प्राइवेट पंपों की करा रहे किसान बुकिंग संवाददाता, पटना इस वर्ष राज्य में रबी की फसल पर सिंचाई का ग्रहण लग गया है. भागलपुर, सारण और सीवान समेत सोन नहर इलाकों में किसानों को अपने स्तर से रबी सिंचाई के लिए पटवन का इंतजाम करना होगा. जल संसाधन विभाग ने तीनों जिलों के किसानों को पहले ही अलर्ट कर दिया है. तीनों जिलों की जलाशय योजनाअों के पुनर्स्थापन का काम कराने के नाम पर सिंचाई के लिए नहरों में पानी नहीं छोड़ा जायेगा. सबसे आधिक संकट सारण और सीवान के किसानों को रब्बी सिंचाई का संकट झेलना पड़ेगा. दोनों जिलों में 54 वितरणियों मेंं इस वार एक बूंद भी सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा. बिहार में रबी सिंचाई दो जनवरी से 25 अप्रैल तक होती है. तीनों जिलों में 2.16 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती होती है. भागलपुर में अपर किऊल जलाशय योजना से, जबकि सारण और सीवान में पश्चिमी गंडक नहर योजना से सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति होती है. पश्चिमी गंडक नहर से सीवान और सारण की 54 शाखाएं निकली है, उनमें भी इस बार पानी नहीं छोड़ा जायेगा. भागलपुर में अपर किऊल जलाशय योजना और सारण- सीवान में पश्चिमी गंडक नहर योजना को पुनर्स्थापन के नाम पर बंद करने की सूचना जल संसाधन विभाग ने तीन दिन पहले ही दी की है. तीनों जिलों के किसान नये साल में दो जनवरी से नहरों से रबी सिंचाई की योजना बना ही रहे थे, कि उन पर गाज गिर गयी. तीनों जिलों के किसानों में रबी सिंचाई के लिए प्राइवेट पंपों से सिंचाई कराने के लिए पंपों की बुकिंग कराने को ले कर अफरा-तफरी मची है. तीनों जिलों में पांच-छह सौ ही प्राइवेट पंप हैं, जो प्रति घंटे 75 से 100 रुपये की दर से सिंचाई करते हैं. इसके अलावा वे डीजल भी आलग से लेते हैं. अपर किऊल जलाशय और पश्चिमी गंडक नहर की विभिन्न वितरणियों से किसानों को मुफ्त में सिंचाई का पानी मिलता रहा है. ले-दे-कर सिर्फ उन्हें पटवन शुल्क भर देना पड़ता है.

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