कहीं फंसा एंबुलेंस, तो कहीं छात्र
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साल के अंतिम सोमवार को भी पग-पग बढ़ने के लिए रहा लंबा इंतजार
कहीं फंसा एंबुलेंस, तो कहीं छात्र गोपालगंज : दिन के 11 बजे हैं. जंगलिय मोड़ का इलाका गाड़ियों से खचाखच जाम है. हर तरफ शोर है तथा निकलने की बेचैनी है. पुलिस के जवान सीटी बजा रहे हैं, लेकिन हालात में परिवर्तन नहीं है. आगे बढ़ने पर यही हाल हॉस्पिटल रोड का है. पग-पग बढ़ने […]
गोपालगंज : दिन के 11 बजे हैं. जंगलिय मोड़ का इलाका गाड़ियों से खचाखच जाम है. हर तरफ शोर है तथा निकलने की बेचैनी है. पुलिस के जवान सीटी बजा रहे हैं, लेकिन हालात में परिवर्तन नहीं है. आगे बढ़ने पर यही हाल हॉस्पिटल रोड का है. पग-पग बढ़ने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
यह नजारा था सोमवार को शहर का, जहां महाजाम से शहर पहुंचने वाला हर व्यक्ति व्याकुल था. दिन के 10 बजे से ही शहर में जाम का जो सिलिसला शुरू हुआ वह शाम 5 बजे तक कायम रहा. सोमवार को कोई शहर आने पर पश्चाताप कर रहा था, तो कोई प्रशासन व व्यवस्था को कोस रहा था.
जाम में एंबुलेंस जहां फंसा रहा, वहीं एक दर्जन से अधिक स्कूलों की गाड़ियां भी फंसी रहीं. पोस्टऑफिस मोड़ से आंबेडकर चैक, हॉस्पिटल रोड, घोष मोड़, स्टेशन रोड, पुरानी चैक रोड, जादोपुर रोड़, मौनिया चैक से थाना रोड जाम से कौंधता रहा. जाम का दर्द आम से खास तक को सहना पड़ा. यह जाम कोई पहली बार नहीं है. जाम के लिए प्रशासन अब तक कई बार नीति तो बना चुका है, लेकिन वह धरातल पर कभी उतरी ही नहीं. नीति बनने के साथ ही खत्म भी हो जाती है और शहरवासी जाम से जूझते रहते हैं.
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