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मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में

मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया मेंमुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में, तू जरा हिम्मत तो करख्वाब बदलेंगे हकीकत में, तू जरा कोशिश तो करआंधियां सदा चलतीं नहीं, मुश्किलें सदा रहतीं नहींमिलेगी तुझे मंजिल तेरी, बस तू जरा कोशिश तो करराह संघर्ष की जो चलता है, वह ही संसार को बदलता है जिसने रातों से जंग […]

मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया मेंमुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में, तू जरा हिम्मत तो करख्वाब बदलेंगे हकीकत में, तू जरा कोशिश तो करआंधियां सदा चलतीं नहीं, मुश्किलें सदा रहतीं नहींमिलेगी तुझे मंजिल तेरी, बस तू जरा कोशिश तो करराह संघर्ष की जो चलता है, वह ही संसार को बदलता है जिसने रातों से जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है हेमन्त कुमार, गोराडीह, भागलपुरसम- विषम का प्रदूषण रोको समीकरण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी सोची-समझी राजनीति से तमाम पार्टियों को मात दी. एक प्रयोगवादी के तौर पर राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाले केजरीवाल के कार्य करने के तरीके भी लोगों को पसंद आते हैं. यह वही मुख्यमंत्री है, जिसने पहली बार सत्तासीन होने के महज 49 दिनों बाद इस्तीफा दे दिया. वे अपनी विवादी प्रकृति व धरना-प्रदर्शन के लिए भी जाने जाते हैं. विवादों की फेहरिस्त में ताजा मामला दिल्ली में बेहिसाब बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के सम-विषम समीकरण से जुड़ा है. विडंबना यह है कि उन्होंने सड़कों पर लग्जरी कारों काे हफ्ते में सिर्फ चार दिन चलाने की इजाजत दी है. केजरीवाल के कदम से कदम मिलाकर चलने में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी अपनी सहमति दी है. बतौर मुख्यमंत्री देश की राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए उन्होंने अनूठा अभियान चलाया है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली में सम-विषम क्रम से वाहन को दैनिक अंतराल से चलाने का फैसला किया है. जो कि सराहनीय कदम है और इस वजह से फिजूल के दौड़ते वाहनों पर लगाम कसने के लिए बेहतर होगा. ऑड-इवेन का प्रदूषण रोको फॉर्मूला की वजह से केजरीवाल पुन: चर्चा का विषय बन गये हैं. ऐसे में दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर मानने से इतर हम भी उनके सम-विषम समीकरण पर अमल करें तो प्रदूषण को एक हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. हम सबको मिल-जुलकर प्रदूषण का ग्राफ नीचे करने के लिए इस समीकरण पर काम करने की जरूरत है. रवि कुमार गुप्ता लालबेगी, गोपालगंज (बिहार) ‘महामना’ की साधना का फल है बीएचयूएशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय की ख्याति प्राप्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय(बीएचयू),अपनी स्थापना के गौरवपूर्ण सौ वर्ष (फरवरी 2016) पूरे करने की दहलीज पर खड़ा है.आध्यात्मिक नगरी बनारस में करीब तेरह सौ एकड़ के भूभाग में फैला यह विश्वविद्यालय प्राचीन व आधुनिक भारतीय शिक्षा पद्धति का अनूठा संगम है. शिक्षा के व्यावसायीकरण के कारण देश में प्रचलित आधुनिक विषयों की शिक्षा के साथ-साथ लुप्त तथा महत्वहीन हो रही ज्योतिष, योग, धर्मशास्त्र और आयुर्वेद जैसी विधाओं की शिक्षा यहां प्रमुखता से दी जाती है. ‘सर्वविद्या की राजधानी’ में आज भारत ही नहीं, विश्व के करीब चालीस राष्ट्रों के शिक्षार्थी विद्या अध्ययन कर रहे हैं. राष्ट्र की सेवा के साथ नवयुवकों के चरित्र-निर्माण के लिए तथा भारतीय संस्कृति की जीवंतता को बनाये रखने के लिए उक्त विश्वविद्यालय की परिकल्पना को साकार किया था, ‘महामना’ पंडित मदन मोहन मालवीय ने. बीएचयू, महामना की कठिन साधना का फल है. इस सपने को पूरा करने के लिए भिक्षुक बन कर उन्होंने भिक्षा तक मांगी. महामना का जन्म एक साधारण परिवार में 25 दिसंबर 1861 में हुआ. संसाधन की कमी तथा अंग्रेजी राज के प्रभाव के बावजूद वकालत, पत्रकारिता, शिक्षा, समाज सुधार और देश सेवा से जुड़ कर उन्होंने अपने जन्म को सार्थकता प्रदान की. वे 1909,1918,1932 तथा 1933 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बतौर वकील उन्होंने चौरी-चौरा कांड में दोषी प्राप्त 170 लोगों में 151 लोगों को निर्दोष साबित कराते हुए छुड़ा लिया था. भारत सरकार ने महामना के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रख कर पिछले वर्ष उन्हें भारत रत्न (मरणोपरांत) से सुशोभित किया. भारत वर्ष के इस महान विभूति को शत-शत नमन!सुधीर कुमार, इ-मेल सेसच का इजहार कौन करता हैझूठी बातों में असर रखता हैसच का इजहार कौन करता हैकर दिया फैसला मुंह देखकरमगर इंसाफ का दम भरता हैतुम्हारे जुर्म के सारे सुबूत गायब हैंतू फिर कानून से क्यूं डरता है टूट जाता है तरक्की का भरमभूख से जब भी कोई मरता हैगैर की घात से हम बेखबर हैंहमें अपनों से लड़ना पड़ता हैअवाम देख रही है हुक्मरानों कोनशा कुरसी का कब उतरता हैनीरज कुमार निराला,भटौलिया, मुजफ्फरपुर

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