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विकलांगता पर भारी पड़ा आनंद का जुनून

विकलांगता पर भारी पड़ा आनंद का जुनून दूसरों के सहारे बैठता है ह्वीलचेयर परदिघवा दुबौली में कारोबार कर बना नजीरफोटो-13बैकुंठपुर. मन में उत्साह, बुलंद हौसले से लवरेज आनंद ने अपने जुनून की बदौलत मुकाम हासिल किया है. विकलांग होते हुए आनंद ने मुख्य धारा से जुड़ कर समाज में मिसाल कायम कर दी है. बीकॉम […]

विकलांगता पर भारी पड़ा आनंद का जुनून दूसरों के सहारे बैठता है ह्वीलचेयर परदिघवा दुबौली में कारोबार कर बना नजीरफोटो-13बैकुंठपुर. मन में उत्साह, बुलंद हौसले से लवरेज आनंद ने अपने जुनून की बदौलत मुकाम हासिल किया है. विकलांग होते हुए आनंद ने मुख्य धारा से जुड़ कर समाज में मिसाल कायम कर दी है. बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर जब सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिला, तब पिता दरोगा साह के सहयोग से कंप्यूटर सिस्टम की खरीदारी करा कर दिघवा दुबौली स्थित बैकुंठपुर ब्लॉक के पास दुकान खोल कर आॅनलाइन के सभी काम शुरू कर रोजी-रोटी के जुगाड़ में जट गया. दिघवा गांव निवासी आनंद कुमार साह ने 1997 में वेस्ट बंगाल से मैट्रिक की परीक्षा पास कर वर्धमान विश्वविद्यालय से वर्ष 2001 में बीकॉम की डिग्री लेकर अपनी योग्यता के बल पर कंपिटिशन पास करने व सरकारी नौकरी पाने की हिम्मत जुटायी. शरीर से पूर्णत: लाचार आनंद को परीक्षा में बाहर जाने के लिए एक अच्छे सहयोगी की जरूरत थी. सहयोगी के अभाव में वक्त साथ नहीं दे सका. पिता चटकल में नौकरी करते थे. इसी से वेस्ट बंगाल की पढ़ाई नसीब हो सकी. आनंद की शादी पढ़ी-लिखी लड़की गायत्री देवी के साथ हुई है, जिससे दो बच्चे हैं. उसने पत्नी के सहयोग से वर्ष 2013 में पटना स्थित बेल्ट्राॅन स्थित संस्थान से परीक्षा देकर क्वालिफाइ भी कर ली. उसने कहा कि वर्ष 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्ण मोहन से अपनी लाचारी दरसा कर सहयोग की गुहार लगायी थी. प्रतिदिन पिता के सहयोग से पांच किमी दूरी तय कर दिघवा दुबौली में दुकान चलाते हैं तथा अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. आनंद की मेहनत व जज्बे को देख कर सामान्य लोगों को प्रेरणा मिल रही है.

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