गोपालगंज : जीने की तमन्ना में लोग हर रोज मरते हैं. साहब आएं या न अाएं हम उनका इंतजार करते हैं. डॉक्टर मिल गये और एक-दो दवा मिल गयी, तो हम अपने को धन्य समझते हैं. यह व्यथा सदर अस्पताल में इलाज कराने आनेवाले मरीजाें की है. यदि आपको डॉक्टर से दिखा कर जांच करानी है, तो सुबह दस बजे के बाद अस्पताल पहुंचें. इसके पहले यहां किसी तरह का इलाज नहीं होता है.
यदि इमरजेंसी है, तो जरूरी नहीं की यहां डॉक्टर मिल ही जाये. मरीज इलाज के अभाव में तड़पते हैं और डॉक्टर आराम से ड्यूटी में आते हैं. शनिवार को अस्पताल का बुरा हाल था. इमरजेंसी वार्ड में सुबह आठ बजे के बाद दूसरी शिफ्ट में तैनात डॉक्टर 9.30 बजे तक नहीं पहुंचे थे. मरीज इलाज के अभाव में करार रहे थे.
ओपीडी कक्ष में महज चार विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद थे. अस्पताल उपाधीक्षक के चैंबर में ताला लटका था. डॉ एके चौधरी सर्जन, डॉ इम्तेयाज अहमद, शिशु रोग विशेषज्ञ, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश शर्मा मौजूद थे. ओपीडी में जांच और दवा केंद्र भी बंद मिला. एचआइवी के एआरटी केंद्र पर चिकित्सा पदाधिकारी और कर्मी भी नदारद थे.