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मुखिया के चुनाव से शुरू किया था राजनीतिक सफर

मुखिया के चुनाव से शुरू किया था राजनीतिक सफरहथुआ की बलेसरा पंचायत के मुखिया थे रामसेवक गोपालगंज. पंचायत चुनाव से मुखिया बने विधायक रामसेवक सिंह ने कभी सोंचा भी नहीं था कि लगातार चौथी बार हथुआ विधानसभा क्षेत्र की सत्ता संभालने का उन्हें मौका मिलेगा. वर्ष 2001 में रामसेवक सिंह ने पंचायत चुनाव लड़ा था. […]

मुखिया के चुनाव से शुरू किया था राजनीतिक सफरहथुआ की बलेसरा पंचायत के मुखिया थे रामसेवक गोपालगंज. पंचायत चुनाव से मुखिया बने विधायक रामसेवक सिंह ने कभी सोंचा भी नहीं था कि लगातार चौथी बार हथुआ विधानसभा क्षेत्र की सत्ता संभालने का उन्हें मौका मिलेगा. वर्ष 2001 में रामसेवक सिंह ने पंचायत चुनाव लड़ा था. मुखिया रहते हुए इन्होंने इलाके की जनता का दुख – दर्द और सामाजिक समरसता को कायम रखा. पंचायत चुनाव से पहले विधायक रामसेवक सिंह खुद का कारोबार करते थे. उन्होंने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत के बाद से लगातार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास और जनता के जनाधार ने इस बार भी इन्हें जीत का सेहरा पहनाया. वर्ष 2000 में मुखिया रहते हुए रामसेवक को इलाके की जनता ने विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. तब भाजपा और जदयू का बिहार में गंठबंधन था. रामसेवक सिंह को हथुआ की जनता ने पहली बार विधायक के रूप में चुना. इलाके में इनकी लोकप्रियता को देखते हुए नीतीश कुमार ने जदयू का सचेतक बनाया. इस बार यहां से बिहार सरकार में मंत्री रह चुके महाचंद्र प्रसाद सिंह राजग से हम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. उधर, भाजपा से बागी होकर राजेश कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. इन दोनों प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं, जिले में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल करनेवाले रामसेवक सिंह हैं. इन्हें कुल 57917 मत मिले हैं, जबकि हम के उम्मीदवार महाचंद्र प्रसाद सिंह को 34933 मत और तीसरे स्थाना पर निर्दलीय प्रत्याशी राजेश कुमार सिंह को 32959 मत मिले. रामसेवक सिंह ने 22984 मतों से जीत हासिल की है.

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