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शिमला मिर्च और गोभी की खेती से बदल रहे तकदीर
उचकागांव : अभी इंटर की पढ़ाई पूरी भी नहीं हुई थी. सपना तो था कि आइआइटी कर इंजीनियर बने. हालात ने पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. परिवार की जिम्मेवारी माथे पर आ गयी. खेती भी इस लायक नहीं थी कि उससे जीवन यापन चल सके. परिवार की जिम्मेवारी संभालते हुए इंटर की पढ़ाई किसी […]
उचकागांव : अभी इंटर की पढ़ाई पूरी भी नहीं हुई थी. सपना तो था कि आइआइटी कर इंजीनियर बने. हालात ने पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. परिवार की जिम्मेवारी माथे पर आ गयी. खेती भी इस लायक नहीं थी कि उससे जीवन यापन चल सके. परिवार की जिम्मेवारी संभालते हुए इंटर की पढ़ाई किसी तरह पूरी हुई. विरासत में मिली कम जमीन को लेकर मायूसी थी. इस बीच अपने हिस्से की जमीन में सिर्फ सब्जी की खेती करने लगे.
पक्का इरादा और बुलंद हौसला लिये दिन-रात मेहनत कर परिवार के जीवन यापन के लायक कमाई कर लेते थे. इस बीच 2010 में इनकी सब्जी की खेती को देख प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने राजेंद्र कृषि विश्व विद्यालय, पूसा में लौकी की खेती के लिए प्रशिक्षण के लिए भेज दिया.
पूसा में चार दिन की ट्रेनिंग के दौरान उनकी नजर विश्वविद्यालय में लगी पॉली हाउस पर पड़ी. उन्होंने पॉली हाउस की जानकारी ली. कृषि विभाग से संपर्क स्थापित कर अनुदान पर 10 लाख रुपये की लागत से पॉली हाउस का निर्माण चार कट्ठा जमीन में करा दी. आज चार कट्ठा जमीन ने किसान की तकदीर बदल दी है. हम बात कर रहे हैं फुलवरिया प्रखंड के विशुनपुरा गांव के राम वचन सिंह की. कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम कर प्रत्येक वर्ष पांच लाख रुपये तक की आमदनी कर लेते हैं.
सालों भर खेत में तैयार रहता है गोभी : विशुनपुरा गांव के राम वचन सिंह की ईमानदारी और मेहनत ने रंग लाया है. जाड़ा हो या गरमी सालों भर गोभी, मटर, टमाटर, शिमला मिर्च, शलगम, चुकंदर, भिंडी, बोरो, पालक, परवल, हरा मिर्च, प्याज, बैंगन का उत्पादन हो रहा है. बेमौसम उपजने वाली सब्जी की खेती मुंह मांगी रकम दे कर जाती है.
किसान अपने यहां एक दर्जन से अधिक मजदूरों को सालों भर काम देते हैं. इलाके छोटे-छोटे किसानों के लिए आइडियल बने हुए हैं. इलाके के युवाओं को खेती की ट्रेनिंग भी खुद देते हैं. इनका मानना है कि दो एकड़ खेती से एक किसान अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकता है.
बच्चों को इंजीनियर बनाने की तैयारी
बेशक राम वचन खुद इंजीनियर नहीं बन सके, लेकिन अपने बच्चों को इंजीनियर बनाने की तैयारी में हैं. बेटी पुष्पा इंटर की पढ़ाई कर रही है, तो बेटा गौरव छठा वर्ग में है. दोनों को इंजीनियर बनाने का सपना लिये कड़ी मेहनत करते हैं. चार कट्ठे की खेती से एक संपन्न किसान के रूप में इलाके में इनकी पहचान होती है.
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