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दहशत में जी रहे संकरी गलियों में रहनेवाले ..
गोपालगंज : भूकंप के झटकों के बाद एक बार फिर से संकरी गलियों वाले इलाकों पर संकट आ खड़ा हुआ है. संकरी गली वाले जजर्र मकानों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. इन इलाकों में कई बार दीवारें और छज्जे गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं. शुक्र है भूकंप के झटकों से कोई बड़ा […]
गोपालगंज : भूकंप के झटकों के बाद एक बार फिर से संकरी गलियों वाले इलाकों पर संकट आ खड़ा हुआ है. संकरी गली वाले जजर्र मकानों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. इन इलाकों में कई बार दीवारें और छज्जे गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं.
शुक्र है भूकंप के झटकों से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. इसके बावजूद यहां सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. संकरी गलियां होने के चलते इन इलाके में हादसा होने पर राहत सुविधा पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. दूसरा, यहां के जजर्र कमान हादसों को दावत दे रहे हैं. इसे अभी तक किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया है. इस संकरी गलियों में आये दिन हादसे होते हैं.
चंद्रगोखुल रोड में है सबसे अधिक खतरा : शहर का यह चंद्रगोखुल रोड है. बीच में 10 फुट की सड़क. सड़क के दोनों किनारों पर एक-एक फूट चौड़ी नालियां हैं. नालियों के बाद दोनों तरफ आलीशान इमारतें बनी हुई हैं. जो कॉमर्शियल उपयोग में है. चार मंजिला तक दुकानें हैं.
सड़क के दोनों तरफ हजारों की संख्या में व्यवसायी प्रतिष्ठान हैं. कई शिक्षण संस्थान भी हैं. सड़क के ऊपर नजर डालेंगे, तो बिजली के तार मौत को दावत देते प्रतीत होते हैं. यह रोड पूरी तरह से भूकंप के लिए डेंजर जोन है. अगर अपनी इमारत से निकल कर सड़क पर भी आते हैं तो वहां जान बचना मुश्किल है.
श्याम सिनेमा रोड बेहद खतरनाक : शहर का श्याम सिनेमा रोड संकरी गलियों में तब्दील हो गया है. सड़क के किनारे बड़ी- बड़ी इमारतें बनी हुई हैं.
बिजली के तारों का जाल बिछा हुआ है, जिसमें हाइ वोल्टेज करेंट दौड़ रहा. भूकंप की स्थिति में श्याम सिनेमा रोड में पुरानी चौक तक संकरी गली होने के कारण सड़क पर भी जाकर जान बचाना मुश्किल है. इस सड़क के किनारे चार दर्जन से अधिक मकान जजर्र हो चुके हैं. जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं. किसी तरह दो बार के भूकंप को ये मकाने ङोल चुके हैं. आगे क्या होगा आप सहज अंदाज लगा सकते हैं.
रेट्रोफिटिंग से मजबूत होंगे पुराने घर : तकनीकी क्रांति की बदौलत पुरानी से पुरानी इमारत को भूकंपरोधी बनाया जा सकता है. इस तकनीकी को रेट्रोफिटिंग कहा जाता है. सिविल इंजीनियर मिथिलेश तिवारी की मानें तो पुराने घर को भूकंपरोधी बनाने के लिए रेट्रोफिटिंग करने में इमारत की कीमत का 10 प्रतिशत तथा नयी इमारत 7.5 प्रतिशत ज्यादा खर्च आता है. सामान्य तौर पर घर बनाने का खर्च 1400 और भूकंपरोधी का खर्च 1550 रुपये वर्गफुट आता है.
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