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किसान ने नहर की जमीन पर किया क्षतिपूर्ति का दावा

जांच को पहुंचे डीएम, तो अधिकारियों की उड़ी नींदतीन खेतों में जाकर डीएम ने की जांचफर्जीवाड़े में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेशफोटो-24गोपालगंज/फुलवरिया. बारिश, ओलावृष्टि तथा गेहूं की फसल में दाना नहीं आने के सर्वे के बाद अब किसानों से फसल की क्षति की दावा प्रशासन ने मांगा था. इसके लिए कैंप लगा कर किसानों से […]

जांच को पहुंचे डीएम, तो अधिकारियों की उड़ी नींदतीन खेतों में जाकर डीएम ने की जांचफर्जीवाड़े में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेशफोटो-24गोपालगंज/फुलवरिया. बारिश, ओलावृष्टि तथा गेहूं की फसल में दाना नहीं आने के सर्वे के बाद अब किसानों से फसल की क्षति की दावा प्रशासन ने मांगा था. इसके लिए कैंप लगा कर किसानों से दावा आवेदन के साथ लिये गये. इस दावे में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की बात सामने आयी है. फुलवरिया प्रखंड में नहर की जमीन में भी गेहूं की फसल बरबादी का दावा करते हुए किसान ने मुआवजे की मांग की है. डीएम कृष्ण मोहन की जांच में यह सनसनी खेज मामला सामने आया है. फर्जीवाड़ा उजागर होते ही अधिकारियों की भी नींद उड़ गयी है. बता दें कि डीएम मंगलवार की शाम फुलवरिया प्रखंड में पहुंचे. वे किसानों के दावे की जांच करने खेत में पहुंच गये. माड़ीपुर के किसान विनोद चौधुर के दावा संख्या-387 रकवा एक एकड़ बताया गया. जब डीएम जांच करने पहुंचे, तो इस खेत में गन्ना लहलहा रहा था. उसी तरह रामायण चौधुर के प्लॉट नं-155 में 2.71 एकड़ जमीन पर गेहूं की फसल बरबाद होने की दावा किया गया था. भौतिक सत्यापन में पाया गया कि इस जमीन पर गंडक नहर है और बाकी जमीन गंडक नहर के सरकारी जमीन है, जो खाली पड़ी है. बगल के एक और किसान के खेत की जांच की गयी, जहां गेहूं की फसल नहीं बगीचा है. लेकिन, दावा गेहूं की क्षतिपूर्ति का किया गया है. डीएम ने तत्काल प्रभाव से इन किसानों पर एफआइआर करने का निर्देश दिया है.

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