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बसमालिकों ने किया प्रदर्शन

आने-जाने में लोगों का छूटा पसीना, नहीं चलीं गाड़ियां गोपालगंज : हाथ में बच्चे की उंगली थामे और माथे पर मोटरी लिये सुनीता देवी थावे पैदल जा रही हैं. वहीं राजेंद्र बस स्टैंड में दर्जनों लोग गाड़ी के इंतजार में खड़े हैं. किसी को मुजफ्फरपुर जाना है, तो किसी को बेतिया. राम मोहन सिंह को […]

आने-जाने में लोगों का छूटा पसीना, नहीं चलीं गाड़ियां
गोपालगंज : हाथ में बच्चे की उंगली थामे और माथे पर मोटरी लिये सुनीता देवी थावे पैदल जा रही हैं. वहीं राजेंद्र बस स्टैंड में दर्जनों लोग गाड़ी के इंतजार में खड़े हैं. किसी को मुजफ्फरपुर जाना है, तो किसी को बेतिया. राम मोहन सिंह को बरात में जाने की बेचैनी है.
पैदल अपने गंतव्य स्थान पर जा रहा हो या स्टैंड में गाड़ी का इंतजार कर रहा हो. सबके माथे पर पसीना और चिंता की लकीरें हैं. सभी कोस रहे हैं. लगन के दिनों में ही हड़ताल करनी थी. ये नजारा था गुरुवार को बस स्टैंड एवं सड़कों पर, जहां लोग अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए घंटों पसीना बहाये.
प्राइवेट ट्रांसपोर्ट यूनियन द्वारा की गयी हड़ताल के कारण अधिकांश गाड़ियां खड़ी रहीं. नतीजतन शहर के राजेंद्र बस स्टैंड, आंबेडकर चौक बस स्टैंड में गाड़ियों के चलने का घंटों इंतजार किया. वहीं, लोग अधिक पैसे भी देने को तैयार रहे. बस स्टैंड से झोला, बैग लिये पैदल चलते लोग देखे गये. जिलों में गाड़ियों का परिचालन ठप होने से 10 हजार से अधिक लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. किसी ने गांव से प्राइवेट गाड़ी मंगायी, तो कोई रिक्शा या पैदल चलने को विवश हुआ. माथे से टपकता पसीना लोगों का दर्द बयां करने के लिए काफी था.
काश, सरकारी बसों की होती सुविधा : 10 वर्षो से बंद है सरकारी ट्रांसपोर्ट का परिचालन
मांगों के बाद भी परिवहन विभाग ने नहीं ली सुधि
गैराज में सड़ गयी दर्जनों बसें
काश, गोपालगंज में भी सरकारी बसों की सुविधा होती, तो आज लोगों को इतनी परेशानी नहीं ङोलनी पड़ती. लोग मांग करते रहे, लेकिन सरकार और परिवहन विभाग जिलावासियों के जख्म पर मरहम छिड़कता रहा. गुरुवार को प्राइवेट सवारी गाड़ियों का परिचालन ठप होने के बाद सड़ रही सरकारी बसों को देख सबके जुबान पर एक ही शब्द निकल रहे थे.
काश, ये बसें चलती तो आज परेशानी न होती. बात ऐसी नहीं उत्तर प्रदेश के लिए सरकारी बसें वर्ष 1985 में चलनी शुरू हुई. लेकिन विकास के बजाय समय साथ दीमक ने इस व्यवस्था को खोखला कर दिया और 2005 आते-आते बस सड़ गयी. बस कार्यालय बीते दिनों की याद दिलाता है. लोगों की मांग के बाद भी यह सुविधा जिले में आज तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है.

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