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विकास के दौर में अब भी पीछे हैं मजदूर

अपनी बेबसी पर आंसू बहाते रहे मजदूर-न दशा सुधरी न दिशा – जॉब कार्ड भी नहीं आया काम फोटो नं-28एक लोगो है बेतिया मेंसंवाददाता, गोपालगंजआज मजदूर दिवस है. पूरा विश्व मजदूरों की दशा और दिशा सुधारने के लिए हुंकार भरेगा. इसे विश्राम दिवस घोषित किया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि विकास के दौर […]

अपनी बेबसी पर आंसू बहाते रहे मजदूर-न दशा सुधरी न दिशा – जॉब कार्ड भी नहीं आया काम फोटो नं-28एक लोगो है बेतिया मेंसंवाददाता, गोपालगंजआज मजदूर दिवस है. पूरा विश्व मजदूरों की दशा और दिशा सुधारने के लिए हुंकार भरेगा. इसे विश्राम दिवस घोषित किया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि विकास के दौर में मजदूरों की हालात दिनों दिनों बिगड़ते चले गये. न गरमी की परवाह न ठंड का असर और बारिश का भय. हर मौसम मंे मजदूर पेट की आग बुझाने के लिए अपनी ऊर्जा का हवन करने में लगा है. खेतों में काम करानेवाला मजदूर हो या गोदाम मे बोरा ढोनेवाला, सभी का दोहन सरेआम जारी है. जिले की 40 फीसदी आबादी प्रयक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मजदूरी में लगी है. जी-तोड़ प्रयास करने के बावजूद इनके हालात में सुधार में नहीं आये. जॉब कार्ड और रोजगार गारंटी योजना से 80 फीसदी मजदूर अनभिज्ञ हैं. नतीजतन यहां से पलायन जारी है.2 लाख से अधिक अन्य प्रदेशों मे करते हैं मजदूरीजिले की एक बड़ी आबादी प्रत्येक वर्ष यहां से पलायन करती है. जान जोखिम में डाल कर ये मजदूर अन्य प्रदेशों में रोजी-रोजगार को जाते हैं. जिले के लगभग 2 लाख से अधिक मजदूर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, कोलकाता, असम में नौकरी कर जीविका चलाते हैं. इनकी जिंदगी में उजाला दूर-दूर तक दिखायी नहीं देता है. एक नजर में कार्यरत मजदूरखेतों में काम करनेवाले- 2 लाखपलायन करनेवाले मजदूर – 2 लाखरिक्शाचालक – 50 लाखढाबा गोदाम मंे काम करनेवाले 1.5 लाखअन्य कार्य में – 2.5 लाख जॉब कार्ड के अंतर्गत कार्यरत – 50 हजार रोटी के जुगाड़ में तबाही से मुकाबला-बाल-बच्चे छोड़ अन्य प्रदेशों मे करते हैं मजदूरी-घर में न रोटी मिली न रोजगार

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