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मौसम की मार : अब क्रॉप कटिंग पर टिका है किसानों का भविष्य
अपने खेतों में लहलहाती फसल को देख कर किसानों के चेहरे खिल उठते हैं. खेतों में गेहूं की फसल तो जरूर लहलहायी, लेकिन बालियों में दाने नहीं आने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. आलम यह है कि अन्नदाता कहे जानेवाले किसानों के सामने रोटी के लाले पड़ गये हैं. वे फसलों की हुई […]
अपने खेतों में लहलहाती फसल को देख कर किसानों के चेहरे खिल उठते हैं. खेतों में गेहूं की फसल तो जरूर लहलहायी, लेकिन बालियों में दाने नहीं आने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है.
आलम यह है कि अन्नदाता कहे जानेवाले किसानों के सामने रोटी के लाले पड़ गये हैं. वे फसलों की हुई क्षति कामुआवजा पाने के लिए टकटकी लगाये हुए हैं. अब उनकी उम्मीद क्रॉप कटिंग पर टिकी है. इसके आधार पर ही सरकार उपज का आकलन कर मुआवजा तय करेगी.
गोपालगंज : जिले के किसान गेहूं की फसल में दाना नहीं आने से सदमे में हैं. अब क्रॉप कटिंग पर इनका भविष्य टिका हुआ है. क्रॉप कटिंग के आधार पर ही उपज का आकलन सरकार करेगी. क्रॉप कटिंग की रिपोर्ट किसानों को मुआवजा दिलायेगी. स्थिति यह है कि आज जमीनदार के घर में भी रोटी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है. कल तक 80-100 क्विंटल गेहूं बेचनेवाले किसानों का भंडार खाली है.
कई गांवों में तो सर्वे का इंतजार : जिला प्रशासन ने फसलों की क्षति का सर्वे करने का निर्णय लिया था. कई गांवों में किसान अब भी सर्वे होने का इंतजार कर रहे हैं. गांवों को प्रभावित की सूची में शामिल नहीं किये जाने से सर्वे पर सवाल भी उठ रहे हैं. किसान अब भी अपनी फसल को सर्वे के लिए छोड़ रखे हैं, जबकि दर्जनों किसानों ने 20 हजार हेक्टेयर की फसल को आग के हवाले कर दिया है. हर दिन कहीं-न-कहीं फसल जलाये जा रहे हैं.
कृषि विभाग तैयार कर रहा सूची : कृषि विभाग किसानों की फसलवार सूची तैयार करने में लगा है. जिला कृषि पदाधिकारी रवींद्र सिंह ने बताया कि प्रत्येक किसान सलाहकार से किसानों की फसल और उसके रकवे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इसके बाद क्षतिपूर्ति के लिए सरकार को रिपोर्ट भेजी जायेगी.
कैसे होती है क्रॉप कटिंग : क्रॉप कटिंग दो स्तरों पर की जाती है. जिला साख्यिकी पदाधिकारी के स्तर पर प्रत्येक प्रखंड के तीन अलग – अलग क्षेत्र के रेंडम के आधार पर खेत का प्लॉट तय होता है.
इसमें प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी, अंचल निरीक्षक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी की टीम खेतों में अपने सामने गेहूं की कटनी करा कर उसकी दवनी कर उपज का आकलन कर रिपोर्ट भेजती है. सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ही फसल की क्षति का आकलन सरकार मानती है. दूसरी क्रॉप कटिंग जिला कृषि पदाधिकारी अपने अधिकारियों से कराते हैं. वे अपनी योजनाओं के चयनित किसानों के खेतों से क्रॉप कटिंग कराते हैं, तो दूसरा सामान्य किसान के खेत से भी कटिंग करायी जाती है, ताकि तुलना की जा सके कि बेहतर कौन रहा.
कर्ज में डूबे किसान मर्माहत : जिले के 1.86 लाख किसान कहीं-न- कहीं से कर्ज लेकर रबी की बोआई की थी. आज उनमें कर्ज लौटाने की क्षमता नहीं रह गयी है. बैंकों से केसीसी लेनेवाले किसान समय पर लेन-देन नहीं कर पाय. इसके कारण उन्हें फसल बीमा की राशि से भी वंचित होना पड़ सकता है. किसान मर्माहत हैं.
कृषि विभाग भी मान रहा 90 फीसदी हुई है क्षति
कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह तथा सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद की टीम ने बरौली, कुचायकोट, भोरे, पंचदेवरी समेत कई प्रखंडों में जाकर गेहूं की लहलहाती फसल की जांच की.
जांच में पाया गया कि 90 फीसदी गेहूं की फसल में दाना नहीं आया है. इसके पीछे वैज्ञानिकों का तर्क था कि बेमौसम हुई बारिश की वजह से गेहूं की बालियों का पराग झड़ गया. बाकी बालियों में आयी फुफुंदु के कारण व्यापक क्षति हुई. इसका आकलन कर कृषि विभाग अब क्रॉप कटिंग के आधार पर सरकार को रिपोर्ट भेजने की तैयारी में है.
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