अवधेश कुमार राजन
गोपालगंज: राज्य खाद निगम की पेंच में जिले के दर्जनों पैक्सों में धान उनके गोदामों पर ही पड़ी-पड़ी सड़ रही है. पैक्स की धान लेने से राज्य खाद निगम ने हाथ खड़े कर दिये हैं. स्थिति यह है कि पैक्स के गोदाम धान से भरे हुए हैं. वह चाह कर भी सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से ली गयी क्रेडिट की राशि लौटा नहीं पा रहे हैं. जिस कारण आज भी पैक्सों के पास कोऑपरेटिव बैक का 1.26 करोड़ रुपया क्लीन कैश क्रेडिट के रुप में बकाया है. पिछले 23 अगस्त को आयोजित बैठक में पैक्स अध्यक्षों ने इस मामले को गंभीरता से उठाया कि उनका धान गोदामों में सड़ रहा है. एसएफसी धान लेने को तैयार नहीं है. इसे गंभीरता से लेते हुए डीसीओ सैयद मसरूख आलम ने एसएफसी के जिला प्रबंधक को कड़ा पत्र देकर कहा है कि क्रय केंद्र प्रभारियों को निर्देश दें ताकि वह पैक्सों से धानों का उठाव कर सके जिनका भुगतान समय से हो सके. हर हाल में बैंक की क्रेडिट राशि जमा हो सके. डीसीओ ने प्रखंडवार पैक्सों के पास उपलब्ध धान की सूची भी उपलब्ध करायी है.
कसा शिकंजा
दी सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक ने धान खरीद के लिए पैक्सों को सरकार के निर्देश पर 5 से दस लाख रुपये तक का क्रेडिट दिया था. जिसे बैंक ने पैक्स अध्यक्षों को उनके व्यवसाय के लिए भुगतान किया. जिसमें आज भी लगभग 30 लाख रुपया का धान इनके गोदाम है. जबकि बैक का 1.26 करोड़ों रुपया पैक्सों के यहां बकाया है. बैंक ने पैक्सों पर शिकंजा कसते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आगामी 30 सितंबर तक पूरे आय व्यय का ब्योरा जमा करें. किस परिस्थिति में बैक की राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया. जिन पैक्सों ने क्रेडिट की राशि को वापस नहीं किया उन पैक्सों के व्यवसाय पर भी बैंक प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है.
पैक्सों ने की धांधली
धान खरीद में दर्जनों पैक्सों ने हेरा फेरी की है. नतीजा है कि 1.26 करोड़ रुपया को-ऑपरेटिव बैंक से क्रेडिट लेकर धान गोदाम में होने का झांसा दिया जा रहा है. राज्य खाद्य निगम की बातों पर यकीन करें तो स्पष्ट है कि राज्य खाद निगम के गोदाम भरे होने के कारण कई पैक्सों से खरीदे गये धान का भुगतान कर उन्हीं के गोदामों में छोड़ दिया गया, ताकि बाद में उठा लिया जाये. राज्य खाद निगम के जिला प्रबंधक मनीष कुमार ने बताया कि जैसे-जैसे हमारा गोदाम खाली हो रहा वैसे-वैसे पैक्स गोदामों से धान मंगाया जा रहा है. कई ऐसे भी पैक्स हैं जिनको धान का भुगतान किया जा चुका है लेकिन वह धान देने से कतरा रहे हैं. स्थिति काफी गंभीर है. पैक्सों का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है.