सत्संग को यज्ञ का मेरुदंड बतायाफोटो नं- 21संवाददाता, बैकुंठपुरहमारे साथ जब रघुनाथ है तब किस बात की चिंता किया, तुम चिंतन करो प्रभु तुम्हारी चिंता करेगा. यह बात रेवतीथ गांव में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के पांचवंे दिन जगतगुरु स्वामी उपेंद्र परासर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को भक्ति का रसपान कराते हुए कही. स्वामी जी ने अपने प्रवचन मे श्रोताओं को मानव रूप में जीवन जीने की उत्तम सीख दी. चरित्र निर्माण को आवश्यक बताते हुए कहा कि सनातन धर्म मनीषियों के हजारों वर्ष के तप व बड़ी प्रयत्न का परिणाम है. वर्ष 1926 का शोध भारतीय विज्ञान आज भी उससे आगे नहीं है, बल्कि विज्ञान अब तक उसी पर आधारित कार्य करते समय संग आ रहा है. जीवन मंे सिद्धांत को समझने व समझाने की बातों मे कई दृष्टांतों को दरसाया. बताया, आनंद दो तरह से मिलता है. एक विषय का आनंद तो भजन का आनंद. जीवन का भेद यही है, जो भगवान को हृदय मे लेकर भजन का आनंद लिया उसके सामने दुनिया का सभी आनंद फेल हो गया. कहा, राम कहने से तर जाओगे होगी घर – घर में चर्चा सुधर जाओगे. अपनी – अपनी वाणी का लाभ देते हुए स्वामी जी ने एक मां की ममता का क्या मूल्य होता है इस पर प्रकाश डाला. बताया मां की ममता का कर्ज किसी कीमत से चुकता नहीं हो सकता. युवा पीढ़ी मां-बाप व बुजुर्गों को सम्मान दंे, सेवा करें इससे बड़ा धर्म व कर्म कुछ भी नहीं. जिहवा शुद्धि व विचार शुद्धि कर काम करने मे तन्मयता दिखाने पर जोर दिया. सत्संग को यज्ञ का मेरुदंड जगतगुरु ने बताया. मौके पर प्रभात कुमार सिंह, नरेंद्र सिंह, रामप्रवेश सिंह, विंदा साह, विक्रमा सिंह, संदीप कुमार सिंह आदि की सराहनीय सहयोग देखा जा रहा है.
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तुम चिंतन करो, प्रभु तुुम्हारी चिंता करेगा : स्वामी
सत्संग को यज्ञ का मेरुदंड बतायाफोटो नं- 21संवाददाता, बैकुंठपुरहमारे साथ जब रघुनाथ है तब किस बात की चिंता किया, तुम चिंतन करो प्रभु तुम्हारी चिंता करेगा. यह बात रेवतीथ गांव में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के पांचवंे दिन जगतगुरु स्वामी उपेंद्र परासर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को भक्ति का रसपान कराते हुए कही. स्वामी जी ने […]
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