रेवतिथ में आरंभ हुआ सतचंडी महायज्ञभक्ति रस में पूरी रात गोता लगा रहे श्रोताफोटो-16संवाददाता, बैकुंठपुरसच्ची श्रद्धा से ईश्वर की प्राप्ति होती है. आज हमारे मानव जीवन से प्रेम और श्रद्धा दोनों समाप्त हो रहे हैं. जब तक हम इन दोनों के प्रति ईमानदार नहीं बनेंगे, तब तक कष्टों को झेलना पड़ेगा. उक्त बातें बैकुंठपुर प्रखंड के रेवतिथ में आयोजित सतचंडी महायज्ञ के दौरान अपने प्रवचन में ब्रह्मांड गुरु स्वामी उपेंद्र पराशर जी महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि प्रेम व मानवीय गुणों के बीच श्रद्धा अति आवश्यक है. प्रवचन के दौरान पूजा-पाठ और यज्ञ कराने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अमृत वर्षा की. चरित्र निर्माण को भविष्य के लिए सांस्कृतिक धरोहर के रूप में बचा कर रखने पर उन्होंने बल दिया. आज मात्र शिक्षा ही ले लेना पर्याप्त नहीं है. उत्तम ज्ञान का चरित्र रूप में समावेश अनिवार्य है. आवश्यकता है कि चरित्र को अपनी पहचान बनाएं. विद्या, प्रेम, शांति, सद्विचार हमारे आसपास हो. मानव को मानव से प्यार हो, एक-दूसरे का सहारा बने. यही तो अध्यात्म कहता है. स्वामी उपेंद्र पराशर की अमृत वाणी से देर रात तक दूर-दूर से आये श्रोताओं ने अध्यात्म का रसपान किया. बता दें कि स्वामी उपेंद्र पराशर का प्रवचन तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें मुख्य रूप से प्रभात कुमार, नरेंद्र सिंह, शुभ नारायण प्रसाद, राम प्रवेश सिंह, शत्रुघ्न सिंह, विक्रम आदि की भूमिका सराहनीय रही.
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श्रद्धा से होती है ईश्वर की प्राप्ति : स्वामी उपेंद्र
रेवतिथ में आरंभ हुआ सतचंडी महायज्ञभक्ति रस में पूरी रात गोता लगा रहे श्रोताफोटो-16संवाददाता, बैकुंठपुरसच्ची श्रद्धा से ईश्वर की प्राप्ति होती है. आज हमारे मानव जीवन से प्रेम और श्रद्धा दोनों समाप्त हो रहे हैं. जब तक हम इन दोनों के प्रति ईमानदार नहीं बनेंगे, तब तक कष्टों को झेलना पड़ेगा. उक्त बातें बैकुंठपुर प्रखंड […]
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