अरुण कुमार मिश्र
गोपालगंज: नये साल पर राज्य सरकार ने सरकार ने महादलित ,अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्ग को निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए अक्षर आंचल योजना की सौगात दी, लेकिन अब आठ माह बीतने के बाद भी केंद्र नहीं खुल सके . 26 जनवरी 2013 को शिक्षा विभाग के द्वारा सभी पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्र और तालीमी मरकज खोल कर निरक्षरों को साक्षर बनानेे की योजना थी, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर शिक्षा विभाग ने पानी फेर दिया है. इतना ही नहीं निरक्षरों में स्कूल जाने का सपना भी रह गया . राज्य सरकार ने इस योजना की सफलता को लेकर जिले में निरक्षरों का सर्वेक्षण कराने का निदेश दिया था . 23 दिसंबर, 2012 को जिले में महादलित अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग की निरक्षर महिलाओं की सर्वे भी हुई . इन्हें साक्षर बनाने पर आने वाले खर्च का आकलन भी किया गया .
निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए केंद्र संचालन का समय सीमा भी निर्धारित की गयी .
पहले तो अक्षर आंचल योजना की सफलता को लेकर बड़े ही तेजी से कार्य हुआ . लेकिन जैसे जैसे समय बीतते गया वैसे वैसे अक्षर आंचल योजना फीकी पड़ती गयी .
खुलने थे 301 केंद्र
अक्षर आंचल योजना के तहत जिले में 301 केंद्र खुलने थे, जो आठ माह बीतने के बाद भी नहीं खुल सके .मात्र सात तालीमी मरकज और 35 लोक शिक्षा केंद्र ही कार्य कर रहे हैं, जो पूर्व से संचालित है, जबकि 259 तालीमी मरकज अब तक नहीं खुल सके . इससे निरक्षरों को साक्षर बनने का सपना टूटने लगा है.
नहीं हुआ चयन
अक्षर आंचल योजना के तहत शिक्षा स्वयं सेवक और टोला सेवक का चयन भी नहीं हो सका . जिले के सभी 234 पंचायतों में टोला सेवक और स्वयं सेवक का चयन किया जाना था ,लेकिन विभाग की शिथिलता के कारण अब तक चयन भी नहीं हो सका .