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गरीबी को मात देकर बेटे को बनाया आइआइटीयन
बैकुंठपुर (गोपालगंज) : गरीबी को मात देकर बेटों को मंजिल पर पहुंचा कर पूरे समाज के लिए नजीर बन गये हैं. खुद खेतों में मेहनत कर बेटों का सपना साकार करने के लिए पिता ने कोई कसर नहीं छोड़ा. बेटा पटना के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में प्रबंध के पद पर कार्यरत है. फिर भी […]
बैकुंठपुर (गोपालगंज) : गरीबी को मात देकर बेटों को मंजिल पर पहुंचा कर पूरे समाज के लिए नजीर बन गये हैं. खुद खेतों में मेहनत कर बेटों का सपना साकार करने के लिए पिता ने कोई कसर नहीं छोड़ा. बेटा पटना के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में प्रबंध के पद पर कार्यरत है. फिर भी पिता ने खेतों में काम करना नहीं छोड़ा. हम बात कर रहे हैं बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के खजुहट्टी दयागीर टोले के रहनेवाले किसान योगेंद्र यादव की.
पत्नी ने दिया सहारा : पिता की मौत के बाद अपनों ने भी मुंह मोड़ लिया था. हर दिन आर्थिक तंगी में गुजर रहा था. खेती करने के लिए भी पैसे नहीं थे. लेकिन, पत्नी जानकी देवी ने हौसला बढ़ाया. मायके से शादी के समय मिले पांच हजार रुपये से खेती के कार्य में जुट गये. योगेंद्र यादव ने समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए अपने हिस्से की जमीन में खेती शुरू की. महज पांच हजार रुपये से खेती करनेवाले योगेंद्र ने न सिर्फ बेटों को मुकाम पर पहुंचा, बल्कि एक एकड़ से अधिक जमीन भी खरीद ली.
बड़ा बेटा सुरेश प्रसाद घर से भाग कर रोलिंग मिल में फीटर का काम करने लगा. उपेंद्र कुमार तथा जितेंद्र ने पटना में तैयारी की. उपेंद्र ने एमबीए कर एक्सिस बैंक में नौकरी पा ली, जबकि जितेंद्र ने 2000 में छपरा शंकर दयाल सिंह कॉलेज से इंटर किया. 2002 में कानपुर से आइआइटी किया. इंजीनियरिंग की नौकरी बेंगलुरु में की. नौकरी छोड़ अहमदाबाद से 2010 में एमबीए पूरा किया. आज पटना आरबीआइ में प्रबंधक के पद पर नौकरी कर रहा है.
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