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15 सौ बेरोजगार लगा रहे थे कार्यालय का चक्कर

गोपालगंज : डिजिटल बिहार के नाम से संचालित जंगलिया स्थित कार्यालय से करीब 15 सौ बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर दौड़ाया जा रहा था. इन युवकों से मोटी रकम भी लिये जाने की बात बतायी जा रही है. एसडीएम के पास शिकायत करने पहुंचे युवकों ने कंप्यूटर ऑपरेटर, स्वयंसेवक, पंचायत परियोजना प्रबंधक, […]

गोपालगंज : डिजिटल बिहार के नाम से संचालित जंगलिया स्थित कार्यालय से करीब 15 सौ बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर दौड़ाया जा रहा था. इन युवकों से मोटी रकम भी लिये जाने की बात बतायी जा रही है. एसडीएम के पास शिकायत करने पहुंचे युवकों ने कंप्यूटर ऑपरेटर, स्वयंसेवक, पंचायत परियोजना प्रबंधक, ब्लॉक परियोजना प्रबंधक, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, सहायक वित्त प्रबंधक के पदों पर बहाली करने का झांसा देने का आरोप लगाया है.

एसडीएम जब छापेमारी करने कार्यालय पर पहुंची तो वहां वजाप्ते युवाओं की एक लिस्ट चस्पायी मिली जिसमें अधिकतर ग्रामीण इलाके के युवक और युवतियों के नाम पाये गये. अधिकारियों की ओर से एक-एक युवक से पूछताछ कर कार्रवाई की जा रही है.
वहीं कुछ युवकों ने बताया कि 31 मार्च को नौकरी के नाम पर एक एग्जाम लिया गया था, जिसमें अधिकतर युवाओं को पास दिखाया गया था. एग्जाम में उत्तीर्ण होने के बाद नौकरी के लिए मोटी रकम मांगी जा रही थी. डिजिटल बिहार के नाम से संचालित यह संस्था फर्जी है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है.
छपरा से सीवान तक लगा रहे थे चक्कर
नौकरी के झांसे में फंसे युवक छपरा से लेकर सीवान के कार्यालयों का कई दिनों तक चक्कर लगाते रहे. दो दिन पूर्व सात लड़कियों को छपरा में काउंसेलिंग के लिए भेजा गया था. काउंसेलिंग में पता केनरा बैंक का दिया गया था, जहां डिजिटल बिहार के नाम का कोई कार्यालय नहीं था.
संचालक का मोबाइल बंद होने के बाद लड़कियों ने गोपालगंज आकर इसकी शिकायत अनुमंडल पदाधिकारी के यहां की थी. गोपालगंज में नौकरी के नाम पर ठगी करने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी कई फर्जी संस्थानों के द्वारा युवाओं को ठगी का शिकार बनाया जा चुका है. हजियापुर में स्थित एक संस्थान ने कंप्यूटर शिक्षक की नौकरी देने के नाम पर तीन सौ युवाओं से ठगी की थी, जिसमें आक्रोशित लोगों ने कार्यालय पर आकर तोड़फोड़ भी की थी.
इसके पूर्व जादोपुर रोड में स्थित एक फर्जी संस्थान ने कंप्यूटर शिक्षक की बहाली के लिए 12 सौ युवाओं से ठगी की थी. हद तो तब हो गयी थी कि जब युवाओं की परीक्षा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में करायी गयी. प्रत्येक युवकों को कंप्यूटर शिक्षक की नौकरी देने के नाम पर 50 से 60 हजार रुपये की वसूली हुई थी. फर्जी बहाली का खुलासा होने पर कंपनी भाग गयी. हालांकि उसके कुछ कर्मियों को लोगों ने पकड़कर पिटाई की थी.

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