गोपालगंज : लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी शेख अब्दुल नईम अपना नाम पता बदल कर गोपालगंज में अपना संस्था खोल रखा था दो वर्षों तक रहा. इस दौरान न तो खुफिया एजेंसी को और नहीं स्थानीय पुलिस प्रशासन को उसका कोई भनक मिल सका. यूं कहा जाए की खुफिया विभाग पूरी तरह से नाकाम रही. पुलिस ने कभी इस दिशा में सोच कर कार्रवाई भी नहीं किया. फरवरी 2017 में एनआईए को नईम के लोकेशन का पता चला था. एनआईए की टीम छापेमारी भी की.
हालांकि उस दौरान वह फरार हो चुका था. एनआईए की छापेमारी के बाद गोपालगंज की खुफिया और पुलिस सतर्क हुई रहती तो वह दोबारा आकर अपना सामान बेच कर आसानी से नहीं भागा होता. पुलिस उसे सामान बेचने के दौरान दबोच सकती थी. उस वक्त तक लोगों को भी नहीं पता था कि सोहैल खान ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद का मास्टर माइंड शेख अब्दुल नईम हो सकता है, जबकि एनआईए की टीम अब्दुल नईम के लोकेशन मिलने पर ही गोपालगंज में छापेमारी की थी.
छापेमारी इतना गोपनीय था कि किसी को भनक नहीं लगा. इस पूरे प्रकरण के खुलासा के बाद खुफिया एजेंसियां भी हैरत में पड़ गयी है. लश्कर के गोपालगंज से तार जुड़ने के बाद यहां खुफिया एजेंसियों ने डेरा डाल कर एक एक बिंदुओं को खंगालना शुरू किया है. खुफिया सूत्रों से जुड़े एक अधिकारी की माने तो लश्कर का नेटवर्क यहां हो सकता है. इसका उम्मीद भी नहीं किया जा सकता था.